इस अभिनव पहल के लिए मध्यप्रदेश के 12 जिलों को चुना गया है। पायलट प्रोजेक्ट की नींव बैतूल में रखी गई है। जहां सरकारी अस्पतालों में अब निजी डॉक्टर्स गंभीर बीमारियों का इलाज कर सकेंगे। इसके लिए डॉक्टरों को निर्धारित भी दी जाएगी। लेकिन इसका भार मरीज की जगह सरकार उठाएगी।
बैतूल जिला अस्पताल में मरीज की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए बैतूल विधायक और कलेक्टर द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव स्वास्थ आयुक्त, स्वास्थ्य सचिव एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की गई। जिसमें निजी डॉक्टर्स जो स्पेशलिस्ट हैं उन्हें सरकारी अस्पतालों में आकर परामर्श और सर्जरी देने के लिए प्रोत्साहित करने पर बात की गई।
बैठक के दौरान सांसद ज्योति धुर्वे ने कहा कि जिला में ऐसे कई मरीज हैं जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं। लेकिन सरकारी अस्पताल में जटिल ऑपरेशन के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं हो पाने से इन मरीजों को दूसरे शहरों के बड़े अस्पताल में जाकर इलाज करवाना पड़ता है। जिससे इन पर और भी ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ता है। ऐसे में इस पहल से अब इन लोगों को बाहर जाकर इलाज करवाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब जिला अस्पताल में ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को बुलाकर गंभीर बीमारियों का इलाज करवाया जा सकता है।
कलेक्टर शशांक मिश्रा के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव एवं स्वास्थ्य आयुक्त से चर्चा के बाद इस अभिनव पहल को मूर्तरूप प्रदान किया जा रहा है। इस अभिनव पहल के सफल रहने पर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इस नई व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्र के चिकित्सक शासकीय चिकित्सालय में शल्य चिकित्सा करेंगे एवं पारिश्रमिक के तौर पर एक निश्चित राशि दी जाएगी।
साथ ही जिले में 24 अक्टूबर से पांच दिवसीय शल्य चिकित्सा शिविर भी आयोजित किया जाएगा जिसमें प्रोस्टेट, बच्चेदानी, हार्निया, हाईड्रोसिल, पाइल्स, फिश्चुला, फाइब्राइड (पेट में गोला), ओवरियन सिस्ट के आपरेशन किए जाएंगे।