जहां तक मंडी जिले की बात है यहां पर 10 विधानसभा सीटें हैं जिसका बंटवारा पिछले चुनाव में दोनों मुख्य दलों कांग्रेस व भाजपा के बीच आधा आधा यानि 5-5 सीटें मिली थी। इस बार दोनों ही दल इस अंतर को बढ़ाना चाहेंगे। उम्मीदवार तय न होने से माहौल पूरी तरह से फीका व शांत बना हुआ है।
मुख्य दोनों दलों की बात करें तो दस सीटों पर 20 उम्मीदवार ही अधिकृत होंगे मगर इस समय दोनों दलों में कुल मिला कर 100 उम्मीदवार ऐसे हैं जो अपना टिकट पक्का मान कर चल रहे हैं। ऐसे में जब 100 में 20 के ही नाम सामने आएंगे और 80 का पत्ता साफ हो जाएगा। जाहिर हैं कि कई जगहों पर तुफान आएगा।
इधर से उधर जाने या फिर किसी छोटे तीसरे दल का दामन थामने का काम शुरू होगा। रातों रात विचारधाराएं बदलने लगेंगी, अपने बेगाने हो जाएंगे, अच्छे बुरे लगने लगेंगे, कल तक जिनकी तारीफ में कासिदें पढ़े जाते थे, एकाएक उनकी बखियां उड़ाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
साफ लग रहा है कि इस समय जो शांति बनी हुई वह किसी बड़े तुफान के आने का ही संकेत हैं। इस तुफान जो कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही आना यकीनी नजर आ रहा है से कोई भी विधानसभा क्षेत्र अछूता नहीं दिखता। कांग्रेस में देखें तो मंडी सदर, बल्ह, सुंदरनगर व धर्मपुर में कोई बड़ा बवाल नहीं मचेगा क्योंकि टिकट पुराने ही उम्मीदवारों को मिलने की उम्मीद हैं मगर द्रंग, सराज, करसोग, जोगिंदरनगर, नाचन व सरकाघाट में तो टोपियां खूब उछलेंगी जिस तरह से उम्मीदवार आगे आए हैं।
भाजपा में सराज, नाचन, धर्मपुर व सरकाघाट में शायद ही ज्यादा बवंडर खड़ा न हो मगर मंडी सदर, द्रंग, जोगिंदरनगर, बल्ह, सुंदरनगर व करसोग में टिकट पक्का मान कर चलते रहे पार्टी कार्यकर्ता टिकट न मिलने से बिफर सकते हैं।