Home हिमाचल प्रदेश विक्रमादित्य सिंह अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव लड़ने जा रहे….

विक्रमादित्य सिंह अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव लड़ने जा रहे….

30
0
SHARE
विक्रमादित्य सिंह की चुनावी पारी शुरू करने की नींव इसी साल की शुरुआत में रख दी गई थी। जनवरी महीने में इसी साल शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के सरकारी कर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में उनसे मिला था। उस समय वीरभद्र सिंह ने अपने मन की बात कही और इच्छा जताई कि वे विक्रमादित्य सिंह को शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़वाना चाहते हैं। हालांकि तीन दिन बाद ही सीएम इस घोषणा से मुकर गए थे, लेकिन ये एक संकेत जरूर था कि विक्रमादित्य सिंह अपने पिता और मुख्यमंत्री की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इस घटनाक्रम से काफी पहले विक्रमादित्य सिंह की मां और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा था कि विक्रमादित्य सिंह में चुनाव लड़ने की सारी खूबियां हैं और उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए। हाल ही में शिमला के राज्य अतिथिगृह पीटरहाफ में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के सम्मेलन में विक्रमादित्य सिंह को चुनावी राजनीति के लिए लांच करते हुए सीएम ने कहा कि यदि इलाके की जनता विक्रमादित्य सिंह पर भरोसा करेगी तो वे उन्हें निराश नहीं करेंगे।वीरभद्र सिंह ने कहा था कि विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण सीट की जनता की कसौटी पर खरा उतरेंगे। ऐसे में अब विक्रमादित्य सिंह के समक्ष इस कसौटी पर खरा उतरने का दबाव बढ़ गया है। वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया था। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की खूब झड़ी लगाई थी। इसके पीछे कारण अपने बेटे की राजनीतिक लांचिंग करना था। विक्रमादित्य सिंह भी लंबे समय से इस विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों के दौरे कर रहे थे। ये सही है कि विक्रमादित्य सिंह फिलहाल काफी हद तक अपने पिता के राजनीतिक रसूख पर निर्भर हैं, लेकिन वे इलाके की जनता के साथ भावनात्मक संवाद कर रहे हैं।

वीरभद्र सिंह कई मर्तबा शिमला ग्रामीण सीट से अपने भावनात्मक लगाव का इजहार कर चुके हैं। वे भली-भांति जानते हैं कि चुनावी राजनीति में विक्रमादित्य सिंह अभी परिपक्व नहीं हैं। ऐसे में उन्हें स्थापित करने के लिए वीरभद्र सिंह को भी प्रयास करने होंगे। यही कारण है कि वीरभद्र सिंह ने खुद के लिए भी अपेक्षाकृत आसान सीट ठियोग को चुना है, ताकि वे विक्रमादित्य सिंह की चुनावी जीत के लिए भी समय निकाल सकें।शिमला ग्रामीण सीट पर विक्रमादित्य सिंह की जीत सुनिश्चित करना वीरभद्र सिंह के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है। उम्र के इस पड़ाव पर वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक जीवन का संभवत: ये अंतिम रण लड़ रहे हैं। वे खुद राजनीति में सक्रिय रहते हुए विक्रमादित्य सिंह को स्थापित करना चाहते हैं। वीरभद्र सिंह चाहते हैं कि कम से कम एक बार विक्रमादित्य सिंह चुनावी जीत का स्वाद चख लें। ऐसे में ये चुनाव उनके लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है। ये सही है कि विक्रमादित्य सिंह में अपने पिता समान राजनीतिक कौशल व सूझबूझ का अभाव है और वे चुनावी राजनीति में नए नवेले हैं, लेकिन उन्हें पिता की विरासत का लाभ मिलेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here