शाह ने कहा, “जय ने 100 करोड़ रुपये का आपराधिक मानहानि का मामला इसलिए दायर किया है, क्योंकि वह वैध तरीके से कारोबार कर रहे हैं। यह मायने नहीं रखता कि राहुल गांधी क्या कहते हैं। उन्हें तो कारोबार और मुनाफा में अंतर तक नहीं पता है।” शाह ने अपने बेटे पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि अदालत जाने का अधिकार हर किसी को है।
उन्होंने कहा कि जय शाह की कंपनी के कारोबार में कथित तौर पर भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने के बाद अभूतपूर्व वृद्धि हुई। उन्होंने कहा, “जय ने जांच की मांग का इंतजार किए बगैर खुद अदालत का दरवाजा खटखटाया है।” शाह ने कहा, “मेरा बेटा उपभोक्ता वस्तुओं का कारोबार करता है और उसमें घाटा हो सकता है।
राहुल गांधी लेटर ऑफ क्रेडिट और ऋण के बीच अंतर नहीं जानते। जय को ऋण नहीं दिया गया था, बल्कि लेटर ऑफ क्रेडिट दिया गया था। उसने सरकार के साथ कोई कारोबार नहीं किया और सरकार से कोई जमीन नहीं ली और ठेकेदारों से उसका कोई संबंध नहीं है।” शाह ने जय शाह का बचाव करने वाले पीयूष गोयल का भी बचाव किया। उन्होंने सवाल किया कि, “पीयूष गोयल भाजपा नेता के रूप में बचाव में आए, न कि एक मंत्री के रूप में। और यदि उन्होंने बचाव किया तो कौन सा अपराध कर दिया। क्या हमें अपना पक्ष रखने का अधिकार नहीं है। इसमें गलत क्या है?”