कमरूनाग झील हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध झीलों में से एक है। यह झील मंडी घाटी की तीसरी प्रमुख झील है। यहाँ पर कमरूनाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है, जहाँ जून माह में विशाल मेले का आयोजन होता है।
- हिमाचल प्रदेश के मंडी नगर से 51 किलोमीटर दूर करसोग घाटी में स्थित ‘कमरूनाग झील’ समुद्र के तल से लगभग नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
- देवदार के घने जंगलों से घिरी यह झील प्रकृति प्रेमियों को अभिभूत कर देती है।
- झील तक पहुँचने का रास्ता भी बहुत सुरम्य है और यहाँ के लुभावने दृश्यों को देखकर पर्यटक अपनी सारी थकान भूल जाता है।
- कमरूनाग झील के किनारे पहाड़ी शैली में निर्मित कमरूनाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है, जहाँ पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। प्रत्येक वर्ष जून माह में यहाँ भारी मेला लगता है।
- करसोग से शिमला की ओर जाते हुए मार्ग में ‘तत्तापानी’ नामक खूबसूरत स्थल है। यह स्थल सल्फर युक्त गरम जल के चश्मों के लिए मशहूर है। एक ओर बर्फ की तरह सतलुज का ठंडा जल अगर शरीर को सुन्न कर देता है तो वहीं इस नदी के आगोश से फूटता गरम जल पर्यटकों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है।
- हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में स्थित इस झील में अरबों का खजाना होने का अनुमान है। यह खजाना किसी ने छिपाया नहीं है, बल्कि लोगों ने ही आस्थावश यहाँ आभूषण आदि झील के हवाले कर दिये। कमरूनाग झील को महाभारत काल का बताया जाता है। लोग यहाँ अपनी मनोकामना के लिए आते हैं और झील में आभूषण तथा रुपये आदि डालते हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि झील के अंदर कितना खजाना छिपा है, इसका अनुमान लगाना कठिन है। झील में सदियों से सोना-चांदी चढ़ाने की परंपरा का निर्वहन हो रहा है। खजाने के कारण रहस्यमयी कमरूनाग झील सुर्खियों में है।
- आषाढ़ माह में यहाँ ‘सररानाहुली मेले’ का आयोजन किया जाता है। पूरे भारत से लोग यहाँ अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं और झील में सोना-चांदी अर्पित करते हैं।