हर साल दिवाली के ठीक 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का पर्व मानाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन सभी देवी और देवता काशी आते हैं. इसलिए इस पर्व की सबसे ज्यादा महत्वता वहीं देखी जाती है. इस दिन दीपक दान करने से ईश्वर लंबी आयु का वरदान देते हैं.
देव दिवाली के दिन मां गंगा की पूजा करने के साथ, गंगा नदी के सभी घाटों को दीपक जलाए जाते हैं. क्योंकि माना जाता है कि इस दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इसी खुशी में देवाओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीये जलाकर जश्न मनाया था. इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिलावी के रुप में मनाया जाता है. इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है.
देव दीपावली शुभ मुहूर्र:
सूर्योदय: 03 नवंबर, सुबह 06:36 बजे.
सूर्यास्त: 03 नवंबर, शाम 05:43 बजे.
3 नवंबर: पूर्णिमा तिथि दोपहर 01:47 पर शुरू होगी.
04 नवंबर: पूर्णिमा तिथि, सुबह 10:52 मिनट पर खत्म होगी.
पूजा विधि:
– गंगा में स्नान करें.
– शाम के समय भगवाग गणेश की आरती करके पूजा करें.
– इसके बाद ब्राह्मण और कन्याएं वैदिक मंत्रों का जाप करें.
– जाप करने के बाद मां गंगा की आरती करें.
– गंगा नदी के घाट और तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाएं.