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भोपाल गैंगरेप : मानवाधिकार आयोग हबीबगंज गैंग रेप के मामले में डीआईजी भोपाल को रिमांइडर…

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भोपाल: राजधानी गैंगरेप मामले में एसआईटी की जांच में नए खुलासे हो रहे हैं। असल में, जिस पुलिस इंस्पेक्टर को विक्टिम का मददगार बताया जा रहा था। असल में, उसकी वजह से ही एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई। हबीबगंज थाना इंचार्ज रवींद्र यादव। यादव अब एसआईटी के घेरे में हैं। विक्टिम छात्रा हबीबगंज थाने दोपहर करीब 12 बजे पहुंची थी। थाना प्रभारी अपने स्तर पर कार्रवाई करते रहे और ढाई घंटे बाद सीएसपी भूपेंद्र सिंह को घटना की जानकारी दी थी। जबकि एएसपी धर्मवीर सिंह यादव को चार घंटे बाद जानकारी मिली। एएसपी को बताया गया कि हबीबगंज थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। वहीं, हबीबगंज जीआरपी थाना प्रभारी मोहित सक्सेना पीड़ित छात्रा से व्यवहार और टिप्पणी के कारण घेरे में हैं। यह खुलासा खुद आला अफसरों ने किया है।

जानकारी के मुताबिक हबीबगंज इलाके में 31 अक्टूबर की रात पीएसपी की कोचिंग से लौट रही छात्रा से चार युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। दूसरे दिन छात्रा प्रकरण दर्ज कराने के लिए पहले एमपी नगर थाने, फिर हबीबगंज थाने और फिर हबीबगंज जीआरपी पहुंची थी। एफआईआर के लिए छात्रा को लगभग नौ घंटे भटकना पड़ा था। अंत में हबीबगंज जीआरपी ने एक नवंबर की रात करीब सवा आठ बजे एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में लापरवाह अफसरों की भूमिका की जांच डीआईजी सुधीर लाड के नेतृत्व वाली एसआईटी कर रही है।
एसआईटी को दिए बयान में यादव ने कहा कि उन्होंने जिले के अफसरों को पल-पल की जानकारी दी थी। हमने एफआईआर कर ली थी, लेकिन उसे कंप्यूटर में सेव नहीं किया था। शाम को अफसरों के फोन करने के बाद हमने प्रकरण को जीआरपी के हवाले किया था।

छात्रा एक नवंबर को दोपहर 12 बजे हबीबगंज थाने पहुंची थी। दोपहर तकरीबन ढाई बजे टीआई ने घटना की जानकारी हबीबगंज सीएसपी भूपेंद्र सिंह को दी थी। जैसे ही एएसपी धर्मवीर सिंह यादव को घटना की जानकारी मिली वे भी घटना स्थल रवाना हो गए थे। एएसपी को छोड़कर कोई भी सीनियर अफसर मौके पर नहीं पहुंचा। एएसपी यादव ने मौके पर टीआई को एफआईआर के निर्देश दिए थे। टीआई का दावा था कि जीरो पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है, लेकिन एफआईआर बाहर नहीं आई है। छात्रा छह घंटे हबीबगंज पुलिस के साथ थी।

जांच पूरी होने से पहले पीएचक्यू के आला अफसरों का कहना है कि टीआई ने अच्छा काम किया, इसलिए वे निर्दोष हैं। अब इस लापरवाही का जिम्मेदार किसे माना जाए इसके लिए ही रिपोर्ट में देरी हो रही है। वहीं, एसआईटी ने हबीबगंज जीआरपी थाना प्रभारी मोहित सक्सेना पर भी शिकंजा कसा है। आला अफसरों का कहना है कि पीडिता ने सक्सेना के व्यवहार और उनके द्वारा की गई टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर की है। इसका उल्लेख भी एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में किया है।

मानवाधिकार आयोग हबीबगंज गैंग रेप के मामले में डीआईजी भोपाल को रिमांइडर भेजा है। आयोग ने इस मामले में 15 नंवबर तक जांच रिपोर्ट मांगी थी। बुधवार की शाम तक जब जांच रिपोर्ट आयोग में नहीं पहुंची तो फैक्स के माध्यम से रिमाइंडर जारी किया गया।

– एफआईआर लिखे जाने में विलंब किन हालातों के चलते हुआ
– पीड़ित और गिरफ्तार किए गए आरोपियों का चिकित्सीय परीक्षण धारा १६४-क तथा     ५३-क दण्ड प्रक्रिया संहिता के मुताबिक कब कराया गया।
– इस मामले में जांच किस स्तर पर पहुंची है।
– लापरवाही बरतें वाले अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की है।
– क्या पीड़ित के धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत कथन कराए गए है या नहीं।
– क्या पुलिस मुख्यालय से ऐसे कोई निर्देश जारी किए गए हैं कि जब कभी किसी संज्ञेय – अपराध में किसी थाने पर रिपोर्ट की जाती है तो यदि उस थाने का घटना स्थल के संबंध में क्षेत्राधिकार नहीं है तो क्या प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिए विशेषकर ऐसे गंभीर प्रकरणों में।
– यदि कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए तो क्यों ? क्या जीरो पर कायमी के संबंध में कोई निर्देश जारी किए हैं यदि हां तो मामले में लापरवाही क्यों बरती गई।

 

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