कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज से गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर हैं। गुजरात ने अपने इस दौरे की शुरुआत पोरबंदर में बापू की जन्मस्थली से है। इस दौरे पर वह दलित समुदाय द्वारा बनाए गए एक विशाल तिरंगे को स्वीकार करेंगे। हालांकि, यह राष्ट्रीय ध्वज कुछ महीने पहले गुजरात के मुख्यमंत्री को पेश किया जाना था लेकिन राज्य सरकार के अधिकारियों ने जगह की कमी के चलते इसे स्वीकार करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था।
राहुल अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व करने के लिए यह यात्रा करेंगे। अगले महीने प्रथम चरण (9 दिसंबर) के चुनाव के तहत 89 सीटों पर मतदान होना है। दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह आज दलित शक्ति केंद्र (डीएसके) जाएंगे। यह एक व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थान है जिसे दलित कार्यकर्ता चलाते हैं। यह इस जिले के साणंद कस्बे के पास है। गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने बताया कि अपनी यात्रा के दौरान राहुल दलित शक्ति केंद्र के दलित छात्रों से विशाल ध्वज स्वीकार करेंगे। इसकी लंबाई 125 फुट और चौड़ाई 83 फुट है। वह वहां आसपास के इलाकों के स्थानीय लोगों और दलितों को भी संबोधित करेंगे।
दोशी ने दावा किया कि अब तक बना यह सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज है। इसे गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी को पेश किया जाना था लेकिन उन्होंने इसे उस वक्त स्वीकार करने से इनकार कर दिया जब दलित अगस्त में गांधीनगर गए थे। जब राहुलजी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने पूरे सम्मान के साथ ध्वज को स्वीकार करने की इच्छा जताई।
डीएसके के संस्थापक मार्टिन मैकवान के मुताबिक यह विशाल झंडा देश में छूआछूत को खत्म करने के उनके आंदोलन के तहत बनाया गया। यह खादी से बना है और इसका वजन 240 किग्रा है। इसे डीएसके के करीब 100 छात्रों ने बनाया है जो दलित और पिछड़े समुदाय के हैं। मैकवान ने कहा, ”हम इसे मुख्यमंत्री को सौंपने के लिए 11 अगस्त को गांधीनगर गए थे लेकिन वह हमसे नहीं मिले। गांधीनगर कलेक्टरेट के अधिकारियों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
पार्टी के अनुसार आज सुबह पोरबंदर हवाईअड्डे पर उतरने के बाद राहुल स्थानीय मछुआरों से मिल कर अपनी यात्रा की शुरूआत करेंगे। वे उनकी समस्याएं समझेंगे। दोपहर में वह साणंद जाएंगे। इसके बाद वह अहमदाबाद पहुंचेंगे। वहीं, शनिवार को वह गांधीनगर, अरावली, महीसागर और दाहोद जिलों के विभिन्न गांवों और कस्बों से होकर गुजरेंगे।