अमोल पालेकर हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। अपने अभिनय से सभी का दिल जीतने के बाद आजकल वे एक निर्देशक के रूप में सक्रिय हैं। अमोल पालेकर भारत के पहले ऐसे अभिनेता हैं जिनकी डेब्यू फ़िल्म ने सिल्वर जुबली तो मनायी ही, उसके बाद उनकी प्रदर्शित दोनों फ़िल्मों ने भी जुबलियां मनायीं। अमोल पालेकर ने 1974 में ‘रजनीगंधा’ फ़िल्म से डेब्यू किया था। इसके बाद उनकी दो फ़िल्में 1975 में ‘छोटी सी बात’ और 1976 में ‘चितचोर’ प्रदर्शित हुई थीं। इन तीनों फ़िल्मों ने मुंबई में सिल्वर जुबली मनायी।
जीवन परिचय: अमोल पालेकर ने कॅरियर की शुरुआत मराठी मंच से की। सफल अभिनेता और निर्देशक अमोल का जन्म 24 नवंबर, 1944 को बम्बई(अब मुम्बई) में हुआ और वहीं जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ थियेटर की ओर भी रुझान था। थियेटर में कैरियर के लिए संघर्ष करने के साथ ही अमोल एक बैंक में क्लर्क का काम भी कर रहे थे। अमोल पालेकर ने अभिनय में साल 1971 में सत्यदेव दुबे की मराठी फ़िल्म ‘शांतता कोर्ट चालू आहे’ से शुरुआत की। इनकी पहली हिंदी फ़िल्म ‘रजनीगंधा’ की सफलता ने इन्हें इसी तर्ज की कई कम बजट वाली कॉमेडी फ़िल्में दिलाई। बासु चटर्जी और ऋषिकेश मुखर्जी की ‘चितचोर’ (1976), ‘छोटी सी बात’ (1975) तथा ‘गोलमाल’ (1979) 70’ के दशक की सफल कॉमेडी फ़िल्में रहीं। अमोल पालेकर सशक्त और हल्के गुदगुदाते सभी भूमिकाओं में फिट जल्दी ही सिनेमा जगत में जाना-माना नाम बन गए। भीमसेन की ‘घरौंदा’ (1977), श्याम बेनेगल की ‘भूमिका’ (1976) और कुमार साहनी की ‘तंरग’ (1984) अमोल के अभिनय बहुआयामी कला छवि को दर्शाती हैं।[1]
अभिनय के साथ निर्देशन भी: अमोल एक अच्छे अभिनेता तो थे ही अच्छे निर्देशक भी हैं। उनकी पहली फ़िल्म निर्देशित फ़िल्म मराठी भाषा की ‘आकृएत’ (1981) थी। इस फ़िल्म में इन्होंने अभिनय भी किया। किसी मनोरोग से पीडि़त व्यक्ति जो हत्याएं करता फिरता है का अभिनय निश्चित ही चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। उनकी पहली निर्देशित हिन्दी फ़िल्म ‘अनकही’ (1984) थी। इसके बाद क्रमश: ‘थोड़ा-सा रूमानी हो जाएं ’(1989), ‘दायरा’ (1996) और ‘कैरी’ (2000) सरीखी उत्कृष्ट आलोचनात्मक फ़िल्मों का सफल निर्देशन किया। बड़े पर्दे के साथ ही छोटे पर्दे के लिए ‘कच्ची धूप’ और ‘नकाब’ जैसी धारावाहिकों का निर्देशन भी किया। दायरा, अनाहत, कैरी, समांतर, पहेली , अक्स रचनात्मकता के हर रंग -रूप में ख़ास नजर आते हैं। भाषा, देश, संस्कृति किसी भी आधार पर सिनेमा के विभाजन को नहीं मानते।[1]
प्रमुख फ़िल्में: अमोल पालेकर बतौर अभिनेता
2001 | अक्स |
1994 | तीसरा कौन |
1986 | बात बन जाये |
1985 | खामोश |
1985 | झूठी |
1985 | अनकही |
1984 | आदमी और औरत |
1984 | तरंग |
1983 | रंग बिरंगी |
1983 | प्यासी आँखें |
1982 | जीवन धारा |
1982 | रामनगरी |
1982 | श्रीमान श्रीमती |
1981 | नरम गरम |
1981 | समीरा |
1981 | अग्नि परीक्षा |
1981 | चेहरे पे चेहरा |
1980 | आँचल |
1980 | अपने पराये |
1979 | गोल माल |
1979 | मेरी बीवी की शादी |
1979 | दो लड़के दो कड़के |
1979 | बातों बातों में |
1979 | जीना यहाँ |
1978 | दामाद |
1977 | भूमिका |
1977 | सफेद झूठ |
1977 | अगर |
1977 | घरौंदा |
1977 | टैक्सी टैक्सी |
1976 | चितचोर |
1975 | छोटी सी बात |
1974 | रजनीगंधा |
सम्मान और पुरस्कार: बेहतरीन अभिनय और निर्देशन के लिए अमोल पालेकर को कई पुरस्कार और सम्मान मिले। इनमें शामिल है- फ़िल्म ‘दायरा’ (1996) के लिए पहला राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और पारिवारिक उत्थान के क्षेत्र में निर्देशित फ़िल्म ‘कल का आदमी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार। इसके अतिरिक्त ‘गोलमाल’ में अपने रोल के लिए अमोल को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।[1]