दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण के कारण पेट्रोल-डीजल वाहनों के रोहतांग दर्रे में जाने के लिए सीमा निर्धारित कर दी है, ऐसे में अधिक्तर टूरिस्ट रोहतांग नहीं जा पा रहे थे। पर्यटकों को दर्रे तक पहुंचाने के लिए एचआटीसी ने इलेक्ट्रिक बसों को खरीदा था, लेकिन प्लानिंग की कमी की वजह से ये बसें-टैक्सियां डिपो में ही खड़ी हैं।
खरीदी गई छह बसों में से केवल दो बसें ही सड़कों पर दौड़ रही हैं, कोई रूट तैयार ना होने की वजह से बाकी की चार बसें डिपो में खड़ी हैं। पर्यटकों के साथ-साथ पर्यटन कारोबारी भी यही इंतजार कर रहे हैं कि जल्द ही एचआरटीसी इन टैक्सियों और बसों को चला देगा, ताकि लोगों को राहत मिले। वहीं, लोगों ने ये भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं कि जब एचआरटीसी ने इलेक्ट्रिक बसों और टैक्सियों को खरीदने के लिए पहले ही आर्डर देकर रखे हुए थे, तो फिर विभाग को रूट आदि की प्रक्रिया पहले पूरी कर लेनी चाहिए थी, ताकि इलेक्ट्रिक बसों-टैक्सियों को वर्कशॉप में खड़ा न करना पड़ता।