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प्रधानमंत्री श्री मोदी ने की स्वच्छता के लिये समर्पित आठ वर्षीय दिव्यांग तुषार की तारीफ…

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“मन की बात” कार्यक्रम में किया उल्लेख, कहा सबके लिये प्रेरणा है तुषार
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दी बधाई एवं शुभकामनाएं
 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज आकाशवाणी से प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 38वें संस्करण में देशवासियों से बात करते हुए मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के कुम्हारी गांव के आठ वर्षीय दिव्यांग बालक तुषार द्वारा अपने गांव को खुले मे शौच जाने से मुक्त कराने की पहल  का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘ऐसे उदाहरण हम सब के लिए प्रेरणा हैं।’ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने तुषार को उसकी सकारात्मक पहल के लिये शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने बालाघाट जिले के स्वच्छता मिशन के प्रशासनिक अमले और कुम्हारी ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों को भी बधाई दी।

श्री मोदी ने कहा कि ‘स्वच्छता के लिये न कोई उम्र होती है, न कोई सीमा। बच्चा हो या बुज़ुर्ग, महिला हो या पुरुष, स्वच्छता सभी के लिए ज़रुरी है और स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति को कुछ-न-कुछ करने की भी ज़रुरत है। उन्होने कहा कि दिव्यांग भाई-बहन दृढ़-निश्चयी हैं, सामर्थ्यवान हैं ,साहसिक और संकल्पवान हैं।

श्री मोदी ने दिव्यांग बालक तुषार के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि तुषार ने अपने गाँव को खुले में शौच से मुक्त कराने का बीड़ा उठा लिया। इतने व्यापक स्तर का काम और इतना छोटा बालक, लेकिन जज़्बा और संकल्प, उससे कई गुना बड़े थे, वृहत् थे और ताक़तवर थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आठ वर्षीय बालक बोल नहीं सकता लेकिन उसने सीटी को अपना हथियार बनाया और सुबह पांच बजे उठ कर, अपने गाँव में घर-घर जा कर लोगों को सीटी से जगा कर, हाथ के इशारे से खुले में शौच न करने के लिए शिक्षा देने लगा। हर दिन तीस-चालीस घरों में जा कर स्वच्छता की सीख देने वाले इस बालक की बदौलत कुम्हारी गाँव खुले में शौच जाने से मुक्त हो गया।

जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर स्थित कुम्हारी गाँव में छोटी-छोटी झोपड़ियाँ है। यहाँ की जनसंख्या खेती पर निर्भर है। दिहाड़ी-मजदूरी पर भी जाते हैं। जिले की 85 प्रतिशत जनसंख्या गाँव में रहती है। पिछले साल तक इस जिले की किसी भी ग्राम पंचायत को शौच मुक्त होने का दर्जा नहीं मिला था। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पढ़ने वाला तुषार खुले में शौच जाने के दुष्परिणाम समझ चुका था और मन ही मन संकल्प लेकर लोगों को जागरूक करने में जुट गया। तुषार जन्म से बोल और सुन नहीं सकता है। इसके बावजूद उसने सोचा कि यह काम सीटी बजाकर कर सकता है। स्कूल जाने के पहले सुबह पाँच बजे उठना शुरू किया। घर-घर जाकर और सीटी बजाकर इशारा कर खुले में शौच जाने से लोगों को मना किया। जब कोई कहना नहीं मानता तो वह लगातार सीटी बजाता। स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत होते ही अभियान से संबंधित बैठकों में वह शामिल होने के लिये उत्सुक रहता था। तुषार के शिक्षक रत्नेश त्रिपाठी बताते हैं कि वह इस अभियान के प्रति सामान्य बच्चों से ज्यादा जागरूक है। तुषार की इस पहल से गाँव में चेतना जागृत हुई और लोगों ने भी अपना व्यवहार बदलना शुरू किया।

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