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मोदी सरकार ने दिया 800 करोड़, हिमाचल की पंचायतों से खर्च हुआ सिर्फ उसका आधा….

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हिमाचल की पंचायतों को केंद्र से 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार दो साल में 800 करोड़ रुपये की राशि मिली। इस अवधि में पहाड़ी राज्य की पंचायतें केवल चार सौ करोड़ रुपये की खर्च कर पाई। केंद्र ने इस दौरान हिमाचल को 814.04 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस तथ्य का खुलासा हिमाचल के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की समीक्षा बैठक में हुआ। पंचायती राज विभाग के निदेशक ने समीक्षा बैठक ली थी। इस बैठक में सभी पंचायतों से वित्तायोग की सिफारिशों के बाद मिली राशि के उपयोग का ब्यौरा मांगा गया था।यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल को 14वें वित्तायोग के तहत केंद्र से पांच साल में कुल 1800 करोड़ से अधिक की राशि मिलनी है। हिमाचल में विकास के लिए ये राशि काफी अहम है, लेकिन केंद्र से मिल रही मदद को खर्च करने में राज्य फिसड्डी साबित हो रहा है। बैठक में खुलासा हुआ कि खंड विकास अधिकारी अब केंद्र की मदद से होने वाले विकास कार्यों का रिव्यू नहीं कर रहे हैं। कारण ये है कि पंचायतों को सीधे पैसा मिल रहा है। ऐसे में खंड विकास अधिकारी यानी बीडीओ विकास कार्यों की देखरेख में सुस्ती बरत रहे हैं।
ये बता दें कि विभिन्न चरणों से होकर पंचायतों को मिलने वाली राशि का सदुपयोग करने के मकसद से ही पंचायतों को सीधे पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है। लेकिन अब मॉनिटरिंग सहित पंचायत स्तर पर बरती जा रही ढिलाई से केंद्र का प्रयास असफल हो रहा है। हिमाचल प्रदेश को 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के तहत वर्ष 2015-16 में पंचायतों को 195.39 करोड़ की राशि मिली थी।
इसके अगलो ही साल में वर्ष 2016-17 में पंचायतों के खाते में सीधे 270.56 करोड़ की राशि आई थी। इसी तरह से वर्ष 2017-18 में भी पंचायतों को 312.60 करोड़ मिल चुका है। इसके अतिरिक्त परर्फोमेंस के आधार पर भी पंचायतों को 35.49 करोड़ की राशि अब तक जारी की जा चुकी है। इस राशि से पंचायतों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार किया जाना है।

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