हिन्दू धर्म में कई देवी देवता है जिनमे शनिदेव भी है जो सूर्य एवं संध्या के पुत्र है शनि देव को कर्मफल दाता के नाम से भी जाना जाता है व्यक्ति शनि देव का नाम सुनते ही डर के कारण उनकी पूजा अर्चना एवं उन्हें प्रसन्न करने के उपाए ढूंढने लगता है.आपने देखा होगा की शनिवार के दिन एक व्यक्ति बाल्टी में शनिदेव की लोहे की प्रतिमा रखकर लोगो से तेल दान करवाता है यह लोहे की प्रतिमा शनिदेव का प्रतीकात्मक रूप है लेकिन क्या आप जानते है की लोग इस मूर्ति एवं मंदिर में जाकर शनिदेव को तेल क्यों चढाते है? इसके पीछे भी कुछ कारण है आइये जानते है की शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है?
शनिदेव को तेल चढाने के पीछे दो पौराणिक कथाये है पहली कथा के अनुसार लंकापति रावण ने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था जिसमे शनिदेव भी शामिल थे रावण ने शनिदेव को सभी देवो से अलग उल्टा लटकाकर रखा था.उस समय जब हनुमान जी उनके आराध्य श्री राम का सन्देश लेकर लंका पहुंचे वहाँ रावण ने उनकी पूंछ में आग लगा दी थी तब हनुमान जी ने अपनी पूंछ से सारी लंका जला दी थी जिससे लंका में बंदी सभी देव बंधन मुक्त हो गए किन्तु शनिदेव उलटे लटकने के कारण मुक्त नहीं हो सके जिन्हें बाद में हनुमान जी ने मुक्त किया. बंधन के कारण शनिदेव के शरीर पर कई घाव हो गए थे जिसपर हनुमान जी ने तेल का लेप किया जिससे शनिदेव को बहुत आराम मिला इससे प्रसन्न होकर शनिदेव ने वरदान दिया की जो भी भक्त मुझे तेल अर्पण करेगा मेरी दया द्रष्टि उस पर सदेव बनी रहेगी.
दूसरी कथानुसार शनिदेव को अपनी शक्ति पर बहुत अहंकार हो गया था जिसके कारण वह हनुमान जी को युद्ध करने के बाधित करने लगे जिससे हनुमान और शनि देव मेंयुद्ध हुआ जिसमे शनिदेव पराजित हुए और शनि देव का अहंकार चूर चूर हो गया.युद्ध के कारण शनिदेव के शरीर पर कई घाव हो गए इनपर हनुमान जी ने तेल लगाया जिससे उअको बहुत आराम मिला प्रसन्न होकर शनि देव ने वरदान दिया की जो भी भक्त मुझे तेल चढ़ाएगा उसपर मेरी दया द्रस्ती सदैव बनी रहेगी.