भारी हंगामे के बीच सचिन रमेश तेंडुलकर को राज्यसभा में बोलने न देने के कारण सभापति वैंकेया नायडू ने सदन को आज अचानक स्थगित कर दिया। बोलने के लिए खड़े हुए सचिन की ओर इशारा कर सभापति ने विपक्ष से कहा कि लीजेंडरी क्रिकेट खिलाड़ी और भारतरत्न सचिन को कृपया सदन में बोलने में दें, यह उनकी पहली (मेडन) स्पीच है। लेकिन विपक्ष का हंगामा नहीं रुका, अंतत: उन्होंने सदन को स्थगित कर दिया।
विपक्ष इस मांग पर अड़ा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर लगाए गए आरोपों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में माफी मांगें। सभापित ने कहा कि इस बारे में विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के नेता आपस में बैठकर मुद्दे पर बातचीत कर चुके हैं। यह ठीक है कि इसका कोई नतीजा नहीं निकला था लेकिन अब सदन में खिलाड़ी को तो बोलने दीजिए, वह खेल पर बात करेंगे।
लेकिन विपक्ष के नेता अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा और नारेबाजी करते रहे। नायडू ने कहा कि आप लोगों में खेल की भावना ही नहीं है। मैं इस हंगामे को रिकार्ड में नहीं जाने दूंगा। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा टीवी से कहा कि इस हंगामे की लाइव कवरेज बंद कर दें। क्योंकि जनता में यह हंगामा दिखाना उचित नहीं होगा। सभी टीवी कैमरे बंद हो गए। मगर इसके बाद भी हंगामा चलता रहा, सचिन अपनी जगह पर चुपचाप शांतभाव से 10 मिनट तक खड़े रहे।
सभापति ने सचिन से फिर कहा, आप बोलिए, सचिन की स्पीच के अलवा कुछ भी रिकार्ड में नहीं जाएगा। सचिन ने बोलने के लिए होेंठ खोलने ही चाहे थे कि हंगामा और बढ़ गया। वह फिर से शांत हो गए, इस पर सभापति ने खिन्न होकर कार्यवाही अगले दिन 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
तेंदुलकरजिन्हें आज गुरुवार को अपना पहला भाषण सदन में देना था, ने खेलों के भविष्य और खेलने के अधिकार पर संक्षिप्त बहस के लिए एक प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा उन्हें अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने वाले खिलाड़ाियों को सीजीएचएस (केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा) की सुविधा तथा स्कूलों के पाठ्यक्रम में खेलों को शमिल करने के बारे में बोलना था।
इससे पहले सुबह कांग्रेस नेताओं के नारेबाजी के कारण सदन को दो बजे तक स्थगित कर दिया गया था।
सचिन ने भारत के लिए विश्व में नाम कमाया है, यह शर्म की बात है कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा जबकि सबको पता था कि आज सदन का एजेंडा क्या है। क्या सिफ नेताओं को ही बोलने की अनुमति होती है।