गुरुवार को उन्हें उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी जाएगी। मार्च 1943 में शिमला के सुन्नी इलाके के बमन्होल गांव में जन्में तेजराम शर्मा केंद्र सरकार में विशेष सचिव के पद से सेवानिवृत हुए थे। उन्होंने डाक विभाग में रहते हुए देश के कई स्थानों में उत्कृष्ट सेवाएं दी थीं, जिसके परिणामस्वरूप वे केंद्र सरकार में विशेष सचिव के पद तक पहुंचे। तेजराम शर्मा हिमाचल साहित्य अकादमी, पंजाब कला साहित्य अकादमी सम्मान सहित कई सम्मानों से अलंकृत हुए। वे हर पीढ़ी के रचनाकारों के बीच समान रूप से लोकप्रिय थे।
धूप की छाया, बंदनवार, नहाए रोशनी में और नाटी का समय उनके चर्चित काव्य संग्रह हैं। हाल ही में उन्होंने गीता को हाइकू विधा में लिखा था। उनकी हाइकू गीता के विमोचन समारोह में प्रदेश व देश के लेखक शामिल हुए थे। तेजराम शर्मा के निधन पर प्रदेश व देश के लेखकों ने गहरा दुख जताया है। विख्यात कथाकार एसआर हरनोट, कवि-लेखक अनूप सेठी, कमलेश भारतीय, सुदर्शन वशिष्ठ, विनोद प्रकाश गुप्ता, युवा कवि आत्मा रंजन, कवि सुरेश सेन निशांत, हेमराज कौशिक, रत्नचंद निर्झर सहित अन्य लेखकों ने उनके निधन पर दुख जताया है।
टॉप के ब्यूरोक्रेट होने के बावजूद तेजराम शर्मा बेहद विनम्र स्वभाव के थे। युवाओं के लिए वे हमेशा प्रेरणादायी बातें किया करते थे। शहर में सभी साहित्यिक गोष्ठियों में वे जरूर हाजिरी भरते थे। तेजराम शर्मा उच्च शिक्षित थे। हिमाचल विवि से एमए करने के अलावा उन्होंने मानचेस्टर यूके से ट्रेनिंग व डवलपमेंट में पीजी डिप्लोमा, यूके से ही ट्रेनिंग मैनेजमेंट में डिप्लोमा व एचपीयू से फ्रैंच में डिप्लोमा हासिल किया था।