बहुचर्चित 2जी घोटाले पर सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा, राज्यसभा सांसद कनिमोई, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के तब के निजी सचिव आरके चंदोलिया सहित करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया था. राजा पर आरोप था कि उन्होंने मंत्री रहते हुए नियमों को दरकिनार करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की. जानें मामले से जुड़े घटनाक्रम के बारे में…
16 मई, 2007: ए राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया.
25 अक्टूबर, 2007 : केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए 2जी स्पेक्ट्रम की निलामी की संभावनाओं को खारिज किया.
सितंबर-अक्टूबर, 2008 : दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए.
15 नवंबर, 2008 : केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की.
21 अक्टूबर, 2009 : CBI ने 2-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया.
22 अक्टूबर, 2009: मामले के सिलसिले में CBI ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की.
17 अक्टूबर, 2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया.
नवंबर, 2010: दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप की.
14 नवंबर, 2010 : ए. राजा ने पद से इस्तीफा दिया.
15 नवंबर, 2010: मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.
नवंबर, 2010: 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा.
13 दिसंबर, 2010: दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया. इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया.
24-25 दिसंबर, 2010: राजा से CBI ने पूछताछ की.
31 जनवरी, 2011 : राजा से CBI ने तीसरी बार फिर पूछताछ की. एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी.
2 फरवरी, 2011: 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को CBI ने गिरफ्तार किया.