इसी कड़ी में गठित कमेटी लगातार मनाली और कुल्लू सहित कई पर्यटक स्थलों पर बने होटल्स पर कार्रवाई कर रही है।
अब हाईकोर्ट ने जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम व हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास पंजीकरण अधिनियम 2002 के प्रावधानों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आदेश दिया है कि सरकार पब्लिक नोटिस जारी करें।हाईकोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर्यटकों की नगरी है और प्रदेश में पर्यटन बड़े स्तर पर विकसित होना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि लोगों को प्रावधानों की अनुपालना के बारे अवगत करवाए, और इस मुहिम में किसी भी तरह की कोई कमी ना आए। कोर्ट ने कहा कि जो लोग ऐसे व्यवसाय कर रहे हैं जिससे प्रदूषण फैलता हो वो शायद संस्थानों को चलाने के लिए बनाए गए कानूनों व नियमों को नहीं जानते। इसलिए वो लोग अपने संस्थानों को कानूनी तौर पर चलाने के लिए उसका पंजीकरण नहीं करवा रहे।
अदालत ने कहा कि हालांकि लोग कानून के बारे में जानकारी नहीं होने का बहाना नहीं बना सकते, लेकिन संबंधित विभागों के अधिकारियों का ये दायित्व बनता है कि लोगों को इस बारे में जानकारी दें। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने पर्यटन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिए हैं कि वो लोगों के बीच हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास पंजीकरण अधिनियम व जल प्रदूषण अधिनियम के प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करें।न्यायालय ने कहा कि प्रदेश भर में स्थापित की गई औद्योगिक इकाइयों, विभिन्न तरह के संस्थानों व होटल्स की एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाए। इनके खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाने से पहले यह जरूरी हो जाता है कि इन्हें कानून के प्रावधानों के विषय में पूर्णतया जानकारी हासिल हो जाए। न्यायालय ने कुल्लू व कागड़ा जिला की तरह प्रदेश के सभी जिलों में उपरोक्त अधिनियम के प्रावधानों की पालना को सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं
न्यायालय ने चेताया कि प्रावधानों की अनुपालना न करने पर उनके भी बिजली व पानी के कनेक्शन काट लिए जाएंगे। हाईकोर्ट द्वारा पिछले आदेशों की अनुपालना में उपनिदेशक पर्यटन कागड़ा ने न्यायालय को बताया कि 217 औद्योगिक इकाइयां, होटल व गेस्ट हाउस उनके पास पंजीकृत हो चुके हैं, जबकि 49 संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। न्यायालय ने इन संस्थानों के पानी और बिजली के कनेक्शन काटने के आदेश जारी कर दिए।