मंडी के सिराज से चुने गए विधायक जयराम ठाकुर के ताजपोशी अब मुख्यमंत्री के तौर पर हो गई है। इस तोजपोशी से एक किसान का बेटा अब प्रदेश का मुख्यमंत्री बन गया है। पिता जेठे राम पेशे से किसान थे। गरीबी के दामन में जयराम ने अपनी राजनीतिक पारी खेलकर इस मुकाम को हासिल किया, लेकिन पिता अपनी आखों के सामने जयराम को मुख्यमंत्री बनता तो नहीं देख पाए, लेकिन मां बिक्रमू देवी की हसरते पूरी हो गई हैं आज उनकी आखों मे खुशी के आंसू हैं। जयराम किसी राजशाही या राजनीतिक परिवार की विरासत से आया हुआ नेता नहीं है, बल्कि एक मिस्त्री के बेटे ने राजनीति में ऐसी पारी खेली कि आज उसकी वजह से मंडी उनकी वजह से पहचाना जा रहा है। पिता की इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने, मगर जयराम में जनता की सेवा करने का जज्बा था। राजयोग के भागी जयराम ने जैसे ही भाजपा के बैनर तले अपनी राजनीतिक पारी शुरू की, तो पिछले पांच चुनावों में सराज से कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म कर दिया।
उन्हीं की इस काबलियत को भांपते हुए उन्हें चुनावों के बाद दिल्ली बुला लिया गया। जहां सियासत में आने के बाद लोग करोड़ो की संपत्तियों के मालिक हो जाते वहीं जयराम की पहचान आज भी एक किसान के बेटे की तरह ही है। हालांकि जयराम ने अपने परिवार के लिए एक नया घर तो बनाया है, मगर उन्हें आज भी अपना पुराना मकान भाता है। जहां पर वे अपने परिवार के साथ अपने अनुभव बांटते हैं। जयराम ठाकुर एबीवीपी के जरिए छात्र नेता के रूप में उभरे, वहीं से प्रदेश के राजनीति में कूद पड़े। राजयोग ने भी साथ दिया और इस बार पांचवीं पारी बतौर मुख्यमंत्री शुरू करने जा रहे हैं।
बेशक पिता की इच्छा के अनुसार वे डॉक्टर या अधिकारी तो बन नहीं पाए, मगर उन्होंने जिस महिला से शादी की वह पेशे से एक डॉक्टर है। उनकी पत्नी जयपुर से है। मगर जब वह सराज में होती है, तो वह भी आम सराजी महिलाओं की तरह पारंपरिक भेषभूषा में नजर आती है।