शनिवार को समाप्त हुई भारत और श्रीलंका के बीच टी20 सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज चुने गए जयदेव उनादकट ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखें है. उन्होंने साल 2010 में टेस्ट डेब्यू किया था, जिसेक बाद उन्हें टीम साल तक कोई भी मौका नहीं मिला. उनादकट को साल 2013 में वनडे क्रिकेट में पर्दार्पण करने का मौका मिला. हालांकि इसके बाद उन्हें टी20 में डेब्यू करने के लिए और तीन साल का सब्र करना पड़ा. पिछले साल के आईपीएल सीजन ने उनादकट के लिए भारतीय टीम के दरवाजे खोल दिए. उनका मानना है कि, घरेलू क्रिकेट और आईपीएल की बदौलत उनके अंदर परिपक्वता और आत्म विश्वास आया है.
मुंबई टी20 मैच के बाद उनादकट ने कहा कि, “मेरे लिए चीजें काफी अच्छी गईं. सीरीज शुरू होने से पहले मेरे दिमाग में कुछ योजनाएं थी और मैने अपनी तैयारी की थी. मैं पावरप्ले में गेंदबाजी करना चाहता था. मेरे डेब्यू मैच से अब तक काफी समय गुजर गया है, इस बीच मैने काफी घरेलू क्रिकेट खेला. इससे बतौर खिलाड़ी परिपक्व होने में मुझे काफी मदद मिली है. जल्दी खेलने से मुझे काफी मदद मिली.” घरेलु सीजन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि, “मैने इससे पहले 2013 में भी कमबैक किया था, जो बिल्कुल अच्छा नहीं गया था. मेरे लिए इस सीरीज में अच्छा करना जरूरी था. किसी भी खिलाड़ी के करियर का सबसे महत्वपूर्ण समय घरेलू सीजन होता है. वहां अच्छा करने से आपको आत्मविश्वास मिलता है. आपको जब भी मौका मिलता है आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना चाहते हो। आईपीएल ने मुझे अंतर्राष्ट्रीय खेलने को लेकर आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद की है.