पौष माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु के बाल रूप की आराधना की जाती है। पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत को फलदायक माना जाता है। निसंतान दंपतियों को संतान सुख के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए।
पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है। एक बार पौष माह में और दूसरी बार सावन माह में। इस बार यह 29 दिसंबर को है। पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान की आने वाले कष्टों से रक्षा होती है। विधि विधान से इस व्रत को रखने से मनुष्य विद्वान और यशस्वी बन जाता है। यह व्रत पवित्र मन से करना चाहिए। किसी से झूठ नहीं बोलें, न ही किसी का दिल दुखाएं।
दशमी तिथि की रात्रि से ही इस व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान करते हुए शयन करना चाहिए। सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर गंगाजल को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए। इस व्रत में चावल और अनाज का उपयोग नहीं करना चाहिए। निसंतान दंपति को एक साथ भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना करनी चाहिए। इस व्रत में ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।