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मध्यप्रदेश में सुशासन में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग….

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वर्तमान में प्रशासन की जनता के प्रति जिम्मेदारी में काफी वृद्धि हुई है। नागरिकों के जीवन के हर पहलू से प्रशासन का संबंध हो गया है। प्रशासन के कल्याणकारी तथा नियंत्रणकारी दोनों ही स्वरूपों के सफल निर्वहन के लिये नागरिकों से संबंधित जानकारियों का प्रभावी संकलन, प्र-संस्करण, संधारण तथा उन्नयन जरूरी हो गया है। भौगोलिक तथा जन-सांख्यिकीय रूप से, बड़े राज्य में, ऐसी जानकारियों का, मानवीय पद्धति से प्रबंधन किया जाकर, बेहतर प्रशासन दिया जाना जटिल चुनौती है। इसका हल प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक उपयोग से ही संभव है। राज्य सरकार ने इसके लिये बहुआयामी प्रयास किये हैं।

लोक सेवाओं का प्रभावी प्रदाय

मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 नागरिक अधिकारों को सशक्त बनाने का अभिनव प्रयास है। इस अधिनियम द्वारा नागरिकों को सेवाओं के प्रदान करने की गारंटी दी गई है। लोक सेवा प्रदान करने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर अर्थदण्ड आरोपित करने का प्रावधान भी इसमें किया गया है। अब तक कुल 23 विभाग की 164 सेवाओं को अधिनियम के दायरे में लिया गया है। वर्तमान में अधिसूचित 164 सेवाओं में से 110 सेवाओं के ऑनलाइन आवेदन लिये जा रहे हैं। अब तक सेवाओं को प्राप्त करने के लिए 03 करोड़ 96 लाख से भी अधिक आवेदन ऑनलाइन प्राप्त किये जाकर 03 करोड़ 88 लाख से अधिक आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है।

मध्यप्रदेश के बाद 20 अन्य राज्यों यथा बिहार, पंजाब, उत्तराखण्ड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और झारखंड ने भी ऐसे कानून बनाये हैं। अब भारत सरकार भी इस तरह का कानून बना रही है। सुशासन की यह देश में अपने स्वरूप की प्रथम ऐतिहासिक एवं क्रातिकारी पहल है। यह कानून सरकार की जन प्रतिबद्धता का प्रमाण है। कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पृथक से ‘लोक सेवा प्रबंधन विभाग’ एवं विभाग के अधीन ‘राज्य लोक सेवा अभिकरण’ का गठन किया गया है। लोक सेवा गांरटी अधिनियम 2010 एवं इसके सफल क्रियान्वयन के लिये लोक सेवा प्रबंधन विभाग को वर्ष 2012 में UN अवार्ड, वर्ष 2013 में Skoch अवार्ड एवं 2014 में स्टेट IT E-Govn अवार्ड प्राप्त हो चुका है।

लोक सेवा प्रदाय प्रणाली के अंतर्गत नागरिकों को बेहतर एवं सरलता से ऑनलाइन सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश के प्रत्येक विकासखंड, तहसील मुख्यालय एवं शहरी क्षेत्रों में अब तक कुल 413 लोक सेवा केन्द्र ‘पब्लिक-प्रायवेट पाअर्नरशिप’ आधार पर स्थापित किये गये हैं।

आगामी माह में लोक सेवा केन्द्रों की सेवाएँ mponline कियोस्क से तथा mponline किओस्क की सेवाएँ लोक सेवा केन्द्रों से दी जाएंगी। ये केन्द्र/कियोस्क क्षेत्राधिकार से मुक्त होंगे, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी केन्द्र/कियोस्क से बेहतर एवं सरलता से ऑनलाइन सेवाएँ प्राप्त कर सकेंगे।

अधिनियम के अंतर्गत जुलाई 2014 से लोक सेवा केन्द्रों द्वारा प्रदेश के स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने संबंधी अभियान का सफलता से क्रियान्वयन किया गया। अब तक प्राप्त लगभग 1.34 करोड़ आवेदन में से अभी तक लगभग 1.13 करोड़ डिजिटल हस्ताक्षरित रंगीन प्रमाण-पत्र प्रदान किया जा चुके हैं। जारी किये गए सभी डिजिटल हस्ताक्षरित सर्टिफिकेट एक कॉमन रिपॉजिटरी वेबसाईट www.mpdistrict.gov.in पर उपलब्ध है।

विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित सर्वसेवा परियोजना

वर्तमान में जारी ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिये यह परियोजना प्रांरभ की गई है। इसका उद्देश्य मध्यप्रदेश शासन के विजन 2018 के अनुरूप लोक सेवा गारंटी 2010 के तहत सभी सेवाओं के विस्तार, नवीन सेवाओं को जोड़े जाने और वर्तमान सेवाओं को अधिक सुदृढ़ करना है। नागरिकों को शासकीय सेवाएँ सहज रूप से उपलब्ध करवाना, विशेषकर महिलाओं तथा गरीब वर्ग के नागरिकों को, इसका उद्देश्य है। राज्य शासन के आई.सी. टी प्रोजेक्ट जैसे आधार, समग्र आदि को भी सर्वसेवा परियोजना के साथ integrate किया जाएगा।

जन शिकायत निवारण

जन शिकायत निवारण कक्ष द्वारा आनलाईन, आफ लाईन आवेदन प्राप्त किया जाकर जन सामान्य की शिकायतों का निराकरण किया जाता है। समाधान आनलाईन कार्यक्रम द्वारा विभाग में प्राप्त शिकायतों में चयनित शिकायतों का माह के प्रथम मंगलवार को मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से आवेदक की उपस्थिति में निराकरण किया जाता है।

181-सी.एम. हेल्पलाइन

सी.एम. हेल्पलाइन, कॉल सेंटर भोपाल में स्थापित किया गया है। यह सेंटर प्रतिदिन सुबह 7.00 बजे से रात्रि 11.00 बजे तक निरंतर कार्य करता है। प्रदेश के नागरिक कॉल सेंटर के हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 181 पर कॉल कर शासन की योजनाओं एवं कार्यक्रम की जानकारी प्राप्त करने के साथ ही अपनी समस्या एवं शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। सी.एम. हेल्पलाइन के प्रारंभ से अब तक कुल 51 लाख 45 हजार 538 शिकायतें प्राप्त हुई। इनमें से 48 लाख 64 हजार 978 शिकायतों को निराकृत किया गया है। जो 94.55 प्रतिशत है।

‘डिजिटल इंडिया’ के सभी स्तंभों पर कार्यवाही

प्रदेश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के सभी 9 स्तंभों में कार्यवाही की गई है। सभी ग्रामों में ब्राडबैंड कनेक्टिविटी देने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये 313 में से 189 ब्लॉक में भूमिगत केबल अधोसरंचना स्थापित की जा रही है। शेष 142 ब्लाक में विद्युत खंभों के माध्यम से OFC केबल बिछाई जाने का सर्वे कार्य प्रगति पर है।

राज्य में आईटी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने हेतु नीति- 2012 (यथा संशोधित-2014) म.प्र. व्यापार प्रक्रिया बाह्य सेवाएं (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) व्यापार प्रक्रिया प्रबंधन (बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) (बीपीओ/बीपीएम), उद्योग निवेश नीति 2014, ‘मध्यप्रदेश सेमीकन्‍डक्टर फैब्रीकेशन निवेश नीति-2015’ जारी की गई है।

देश में मध्यप्रदेश डाटा शेयरिंग में प्रथम और एस.एम.एस. गेटवे में देश में दूसरा है। प्रदेश में एसएमएस गेटवे सफलता से संचालित है। गेटवे से अभी तक 43 करोड़ 98 लाख 92 हजार एस.एम.एस. किये जा चुके हैं।

प्रभावी प्रशासन एंव मोबाइल के माध्यम से नागरिकों को त्वरित सेवाएँ दिये जाने के लिये प्रदेश में एम.पी. मोबाइल प्लेटफार्म प्रारंभ किया गया है। इससे वर्तमान में 154 सेवाएँ प्रदाय की जा रही हैं।

प्रदेश में भोपाल, जबलपुर, इंदौर ग्वालियर तथा सागर में आई.टी.पार्क तथा भोपाल और जबलपुर में, ई.एम.सी. केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। इससे आई.टी. कंपनियों को इकाई स्थापित करने में मदद मिल सकेगी।

प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये म.प्र. स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क की 368 प्वाइन्ट ऑफ प्रेजेन्स से 5800 कार्यालय को स्वान कनेक्टिविटी दी गई है।

प्रदेश में 9500 एमपी ऑनलाइन कियोस्क एवं 6000 कॉमन सर्विस सेन्टर/ नागरिक सुविधा केन्द्रों से नागरिकों को उनके निकटतम स्थान पर शासकीय सेवाएँ सुविधाजनक एवं पारदर्शी रूप से प्रदान की जा रही है।

राज्य के रहवासियों का समग्र डाटाबेस (गोल्‍डन रिकार्ड) म.प्र. राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम में स्थापित स्टेट रेसीडेंट डाटा हब में तैयार किया जा रहा है।

राज्य में वर्ष 2006 से ई-टेण्डरिंग प्रणाली सफलता से संचालित है। इस प्रणाली से अभी तक 2 लाख 79 लाख करोड़ कीमत के 1 लाख 72 हजार से ज्यादा ई-टेण्डर जारी किये जा चुके हैं।

प्रदेश में ई-मेल को संचार के मुख्य साधन के रूप उपयोग किये जाने तथा इसे वैधानिक स्वरूप देने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा ‘ई-मेल नीति 2014’ जारी की गई है। तहसील/ब्लाक स्तर तक आई.टी. कैडर का गठन किया गया है। वर्चुअल आई.टी. कैडर का भी गठन कर विभिन्न विभागों के 374 अधिकारियों/कर्मचारियों का चयन किया गया है। प्रदेश में आई.टी./ई-गवर्नेन्स परियोजनाओं के सुचारू संचालन एवं प्रभावी क्रियान्वयन की दृष्टि से राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट ई-मिशन टीम का गठन कर शासन के विभिन्न विभागों में 57 सलाहकारों/वरिष्ठ सलाहकारों की सेवाएँ उपलब्ध करवाई गई हैं। स्टेट ई-मिशन टीम के अंतर्गत ई-गवर्नेंस में दक्ष 09 सलाहकार/वरिष्ठ सलाहकारों की सेवाएँ विभागों को उनकी आवश्यकतानुसार उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

परियोजना प्रबंधन और मानिटरिंग की संस्थागत व्यवस्था

प्रदेश में मानव-वित्तीय संसाधन एवं परियोजनाओं के समुचित क्रियान्वयन के उद्देश्य से सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से परियोजना प्रबंधन एवं मॉनिटरिंग की संस्थागत व्यवस्था स्थापित की गई है। विभिन्न विभागों द्वारा प्रस्तावित ई-गवर्नेंस परियोजनाओं में वांछित सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी साल्यूशंस प्रदाय करने के लिये उच्च दक्षता के आई.टी. इंजीनियर्स की टीम के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया गया है। प्रदेश में स्टेट पोर्टल एवं स्टेट सर्विस डिलेवरी गेटवे परियोजना सितम्बर, 2013 से सफलता से संचालित है।

ऑनलाइन परीक्षाएँ

प्रदेश में शासकीय सेवाओं में सहायक ग्रेड-3, टायपिस्ट, स्टेनोग्राफर के पदो पर संविदा या सीधी भर्ती के लिए कम्प्यूटर एवं टायपिंग में दक्षता का आंकलन करने हेतु CPCT की ऑनलाइन परीक्षाएँ सफलता से आयोजित कर रोजगार की एकल व्यवस्था लागू की गई है। शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों में सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेस क्षमता संवर्द्धन के लिये जिला मुख्यालयों में अत्याधुनिक कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र ‘ई-दक्ष’ प्रारंभ किये गये हैं। मैदानी योजनाओं के त्वरित निर्णय के लिये ज्योग्राफिकल इन्फारमेशन सिस्टम लैब संचालित है। प्रदेश के राजस्व न्यायालयों का कम्प्यूटराइजेशन करने के लिये सॉफ्टवेयर आर.सी.एम.एस विकसित किया गया है।

प्रदेश के 313 विकासखंड मुख्यालयों पर चिन्हांकित 312 शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तथा 100 शासकीय महाविद्यालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग से महत्वपूर्ण विषयों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है।

शासकीय प्रक्रियाओं का सरलीकरण

शासकीय प्रक्रियाओं के सरलीकरण एवं पुनर्निर्धारण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय साधिकार समिति द्वारा सेवा प्रदाय की प्रक्रिया को सरल करने के अनेक निर्णय लिये गये हैं। इनमें मुख्य रूप से स्व-घोषणा पत्र के आधार पर स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र मान्य किया जाना, स्व-घोषणा के आधार पर आय प्रमाण-पत्र मान्य किया जाना और शपथ-पत्र के स्थान पर स्व-प्रमाणित घोषणा-पत्र के आधार पर सेवाओं का प्रदाय, शामिल है।

वाणिज्यिक कर विभाग में आनलाईन भुगतान को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। जमीन-जायदाद के पंजीयन को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है। पंजीयन विभाग की सभी गतिविधियाँ ‘सम्पदा पोर्टल’ के तहत ऑनलाईन की जा रही है।

विभिन्न गौण खनिज जैसे रेत, फर्शी पत्थर इत्यादि की खदानों की नीलामी अब ई-ऑक्शन से की जा रही है। इससे खदानें पारदर्शी तरीके से नीलाम होकर जन-सामान्य को उपलब्ध हो सकेगी। किसी भी खदान से खनिज का परिवहन गंतव्य स्थल तक किए जाने के लिये ई-टीपी जारी किए जाने की व्यवस्था लागू की जा चुकी है। इससे खनिजों के अवैध उत्खनन/ परिवहन/ भंडारण पर अंकुश लगा है। अवैध उत्खनन/ परिवहन की रोकथाम हेतु ऐप का विकास करने के साथ ही व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम भी लागू किया जायेगा। मेप आईटी के सहयोग से व्हीकल ट्रैकिंग माध्यम से सभी खनिज परिवहन करने वाले वाहनों में जीपीएस उपकरण लगाया जायेगा। ई-खनिज पोर्टल के माध्यम से भंडारण की ऑनलाईन ई-टीपी की व्यवस्था लागू कर दी है।

मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के कियान्वयन में पारदर्शिता एवं भुगतान में समयबद्धता लाने हेतु पोर्टल तैयार किया जा रहा है। इससे शाला प्रबंधन समिति, स्व-सहायता समूहों एवं रसोइयों को एफ.टी.ओ. से मानदेय एवं भोजन पकाने की राशि का हस्तांतरण सीधे संबंधित के खाते में किया जा सकेगा एवं खाद्यान्न का प्रदाय भी पोर्टल से किया जायेगा। कैशलेस ग्राम पंचायत स्थापित किये जाने की दिशा में प्रदेश पहले से ही अग्रणी रहा है। समस्त भुगतान सीधे ग्राम पंचायत के हितग्राहियों/ वेंडर्स के बैंक खातों में किया जा रहा है।

पीओएस मशीन से राशन सामग्री का वितरण

मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत प्रदेश के 114.57 लाख पात्र परिवारों की पहचान और उन्हें राशन सामग्री का वितरण सुनिश्चित करने के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एण्ड-टू-एड कम्प्यूटराईजेशन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत किसानों से उपार्जित खाद्यान्न भंडारण, परिवहन एवं पात्र परिवारों का विवरण तथा उनको वितरित राशन सामग्री की कम्प्यूटराईज्ड जानकारी उपलब्ध रहेगी। इस व्यवस्था में प्रदेश की 22,396 उचित मूल्य दुकान पर पीओएस मशीन लगाकर राशन का वितरण किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में पात्र परिवारों को असर व्यवस्था में शहर की किसी भी उचित मूल्य दुकान से सामग्री प्राप्त करने की सुविधा भोपाल, इंदौर एवं खण्डवा शहर में लागू की गई है। यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से अन्य शहरों में भी लागू की जाएगी। पात्र परिवारों को पीओएस मशीन से राशन सामग्री प्राप्त करने पर एसएमएस द्वारा सूचना भी दी जाएगी।

ईलेक्ट्रॉनिक पेमेंट आर्डर व्यवस्था

सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्‍याण विभाग द्वारा वृद्धजनों, विधवा, परित्यक्ता एवं दिव्यांगजन के लिये 6 प्रकार की पेंशन योजनाएँ यथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था और सामाजिक सुरक्षा पेंशन इत्यादि का क्रियान्वयन समग्र पेंशन पोर्टल से किया जा रहा है। पेंशन के भुगतान में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए हितग्राहियों को पेंशन का भुगतान इलेक्ट्रानिक पेमेंट आर्डर से करने की कार्यवाही प्रारंभ की गई है। नयी व्यवस्था में राज्य स्तर से ही पेंशनरों के बचत बैंक खाते में पेंशन राशि का भुगतान किया जा रहा है।

ई-लाड़ली

लाड़ली लक्ष्मी योजना में आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से ई-लाड़ली प्रारंभ किया गया है। इस पर आवेदक द्वारा किसी भी इन्टरनेट कैफे/लोक सेवा केन्द्र अथवा ऑगनवाड़ी के माध्यम से आवेदन किया जा सकेगा। शैक्षणिक वर्ष 2016 से कक्षा-6 में प्रवेश लेने वाली 22 हजार 232 लाड़लियों को रूपये 2000 की दर से छात्रवृत्ति ई-पेमेन्ट के माध्यम से भुगतान की गई।

मोबाईल एप्लकेशन Mpecop एवं सिटीजन पोर्टल आम नागरिक को ऑन-लाईन सेवाएँ सुलभ करने हेतु लाकार्पित किया जा चुका है। इसके माध्यम से आम नागरिक बगैर थाने जाए आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही जीपीएस से निकटतम थानों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। अब ऑन-लाईन एफ.आई.आर 24 घण्टे की समय-सीमा में मध्यप्रदेश पुलिस की वेबसाईट पर देखने की सुविधा जन-सामान्य को उपलब्ध है।

mymp.gov.in

प्रदेश के विकास एवं प्रगति में नागरिकों एवं सरकार के बीच साझेदारी और परस्पर संवाद की स्थिति बनाये रखने के लिये mymp.gov.in बनाया गया है। आम नागरिक इस पोर्टल पर जाकर अपना पंजीयन करा सकते हैं और सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं, परियोजनाओं और अभियानों के संबंध में सुझाव दे सकते हैं। नीतियों के संबंध में अपने विचार रख सकते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न कार्यों, चर्चाओं, वार्ता, क्रिएटिव कार्नर एवं ब्लॉग के माध्यम से अपनी रूचि के कार्यों को आम नागरिक सरकार के साथ साझा कर सकता है। यह विशुद्ध रूप से नागरिकों में डिजिटल गवर्नेंस के संस्कार देने का प्रयास है।

इसका लक्ष्य प्रत्येक नागरिक को उपयोगी डिजिटल अधोसंरचना उपलब्ध कराना, सेवाओं की मांग करने पर तुरंत उपलब्ध कराना और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण करना है। यह पोर्टल सहभागी शासन की दिशा में एक अलग तरह का प्रथम डिजिटल इंगेजमेंट प्लेटफार्म है।

88 प्रतिशत रहवासियों का आधार पंजीयन

प्रदेश के कुल 7 करोड़ 67 लाख 89 हजार 374 रहवासियों में से 88 प्रतिशत रहवासियों का आधार पंजीयन पूर्ण किया जा चुका है।

डिजिटल गवर्नेंस की बड़ी पहल

प्रदेश में डिजिटल सुशासन की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए अब नागरिकों को ‘समाधान एक दिन-तत्काल सेवा प्रदाय’ की नई व्यवस्था से एक दिन में सेवाएं मिलने लगेंगी। स्वयं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान नई व्यवस्था की शुरूआत 11 जनवरी 2018 को करेंगे। प्रारंभिक रूप से 14 विभागों की 45 सेवाओं को शामिल किया गया है जिनका प्रदाय एक ही दिन में हो जायेगा। नागरिक किसी भी लोक सेवा केन्द्र में सुबह साढ़े नौ बजे से डेढ़ बजे तक चिन्हित सेवाओं में से चाही गई सेवा के लिये आवेदन दे सकेंगे। उन्हें शाम तक सेवा प्रदाय हो जायेगी। यह सेवायें लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में अधिसूचित सेवाओं में से ली गई है जिनके प्रदाय के लिये अलग-अलग समय अवधि निर्धारित हैं।

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