भोपाल.दुग्ध संघ के सामने इन दिनों बड़ा संकट आ गया है। संघ के पास दूध कलेक्शन इतना बढ़ गया है कि उसे रखने तक की जगह नहीं है। अभी संघ के पास 13 लाख लीटर दूध इकट्ठा हो चुका है। प्लांट परिसर में 17 टैंकर दूध से भरे खड़े हैं। इन्हें खाली करने के लिए दुग्ध संघ के पास इंतजाम नहीं हैं। प्लांट के सायलो की क्षमता सिर्फ 5 लाख लीटर है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसी स्थिति में दूध का साल्ट बैलेंस डिस्टर्ब हो जाता है। इससे दूध के स्वाद पर असर पड़ सकता है।
– इन 17 टैंकरों में 9 हजार, 15 हजार और 20 हजार लीटर क्षमता के टैंकर हैं। इन दिनों दुग्ध संघ के पास रोजाना 5.75 लाख लीटर दूध कलेक्शन हो रहा है। इसमें से सिर्फ 3.50 लाख लीटर दूध की खपत हो रही है।
इस 3.50 लाख लीटर में से दूध सप्लाई और प्रोडक्ट बनाने जैसा काम हो रहा है। सायलो में 5 डिग्री तापमान में दूध रखा जाता है। हालांकि टैंकरों में इतने ही तापमान में दूध लाया जाता है।दुग्ध संघ किसानों से अभी तक 5.80 रुपए प्रति किलो फेट की दर से दूध खरीद रहा था। प्राइवेट डेयरी प्लांट में यह दाम 4.90 रुपए हैं। इस वजह से ज्यादा किसान प्राइवेट की जगह दुग्ध संघ को दूध देने लगे। दूध कलेक्शन रोजाना 5.75 लाख लीटर तक पहुंच गया।
– दुग्ध संघ किसानों को दूध खरीदी के देश में सबसे ज्यादा दाम 5.40 रुपए प्रति किलाे फेट दे रहा है। कलेक्शन बढ़ने पर देवास और कोटा दूध पाउडर बनाने के लिए दूध भेजा जा रहा है। गुजरात में विधानसभा चुनाव के बाद किसानों से दूध खरीदी के दाम कम कर दिए गए। यदि टैंकर में दूध पाश्चुराइज्ड है तो उसे 5 दिन तक रखा जा सकता है, लेकिन यदि दूध सिर्फ शीतलीकृत यानी 4 डिग्री पर ठंडा करके लाया गया है तो खराब नहीं होता, लेकिन उसका साल्ट बैलेंस यानी लवण डिस्टर्ब हो जाता है। ऐसे दूध के टैंकर को 12 घंटे में प्रोसेस करना जरूरी होता है। इससे दूध के स्वाद में अंतर आ जाता है 17 टैंकर खड़े हैं, कोई दिक्कत नहीं हो रही। दूध ज्यादा इकट्ठा हो रहा है तो उसे पाउडर बनाने भेजा जा रहा है। देवास कलेक्टर से बात की गई है। कुछ अन्य पाउडर प्लांट प्रबंधन से बातचीत हो रही है।
दूध कलेक्शन बढ़ने पर दुग्ध संघ को किसानों से दूध खरीदी के दाम 5.80 से 5.40 रुपए करना पडे। इसके बावजूद दूध कलेक्शन कम नहीं हुआ। मंगलवार-बुधवार को इसमें 30- 40 हजार लीटर का ही फर्क पड़ा। मांडगे ने बताया कि चार साल पहले जब वे एमपी स्टेट को ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के चेयरमैन थे, तब उन्होंने दो पाउडर प्लांट खोलने के प्रस्ताव भेजे थे। ये प्लांट पचामा और रतलाम में खोलना चाहिए। ऐसे टैंकरों को कई दिनों तक रखा तो जा सकता है, लेकिन इनका दूध 24 घंटे में प्रोसेस कर लेना चाहिए। इसके फेट व एसएनएफ पर तो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उससे अरोमा प्रभावित होता है। दूध की ताजगी पर बेहद असर पड़ता है। सेहत के नजरिए से भी यह सही नहीं है।