मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिला खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है. जिला प्रशासन को ओडीएफ का प्रमाण पत्र भी मिल चुका है, लेकिन ग्वालियर शहर के सरकारी स्कूलों की तस्वीरें ओडीएफ का मखौल उड़ा रही हैं.
दरअसल, ग्वालियर जिले के अंदरुनी इलाके तो छोड़िए नगर निगम सीमा के अंदर ही आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं. जहां या तो शौचालय नही है या फिर फिर शौचालयों में ताले लटके हैं. ग्वालियर शहर के अवाड़पुरा में आने वाला प्रायमरी स्कूल यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए किसी सजा से कम नही है. 11 साल पहले शुरु हुए इस प्रायमरी स्कूल में न तो बाथरुम है और न ही शौचालय है. स्कूल सामुदायिक भवन के पास है यही वजह है कि स्कूल में गंदगी का अंबार लगा रहता है, इसी गंदगी के बीच बच्चे पढ़ाई करते हैं.
ग्वालियर नगर निगम के तहत आने वाले जारगा गांव का में नाथों का पुरा नाम की बस्ती में पांचवी क्लास तक का स्कूल है. इनको पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक तैनात है. दो छात्रों के लिए और एक शौचालय छात्राओं के लिए तैयार किए गए. लेकिन इस शौचालयों में ताले ही लटके रहते हैं.इनके अलावा दर्जनों ऐसे स्कूल हैं जहां या तो शौचालय नहीं हैं या ताले लटके हुए हैं. आश्चर्य कि बात है कि ग्वालियर जिला खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है. और सरकार ने जिले को सर्टिफिकेट दे दिया है