इंदौर बस हादसा और इसमें जान गवाने वाले बच्चों का असली गुनहगार अगर कोई है तो वो है परिवहन विभाग जिसने बिना जांच पड़ताल किए बस को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया और इस लापरवाही की कीमत 5 मासूम बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। हालांकि बस में स्पीड गवर्नर जरूर लगा था, लेकिन जिस वक्त हादसा हुआ बस की स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक बताई जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि स्पीड गवर्नर लगा होने के बावजूद ड्राइवर बस को इतनी तफ्तार में कैसे चला रहा था। तेज रफ्तार होने की वजह से बस अनियंत्रित होकर दूसरी लेन में सामने से आ रही ट्रक से जा टकराई। और इस दर्दनाक सड़क हादसे में बस चालक समेत कुल 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
ऑटो एक्टपर्ट की माने तो स्टेयरिंग फेल होने के संकेत एक से दो हफ्ते पहले से ही मिलने लगते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इसकी तरफ ड्रइवर ने ध्यान क्यों नहीं दिया। लेकिन हद तो तब हो गई जब बिना बस के जांच पड़ताल किए बिना फिटनेस सर्टीफिकेट जारी कर दिया गया। इस संबंध में आरटीओ ने बताया कि फिट पाए जाने पर ही सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। इस बस के फिटनेस टेस्ट के संबंध में पूरी जानकारी निकाली जा रही है।
इस हादसे के लिए डीपीएस स्कूल प्रबंधन भी कम जिम्मेदार नहीं है। बच्चों के परिजनों के मुताबिक कई बार खस्ता हाल बसों की शिकायत स्कूल प्रबंधन से की गई लेकिन स्कूल मैनेजमेंट तो जैसे किसी हादसे का इंतजार कर रहा था। फिलहाल स्कूल प्रबंधन अपने ऊपर उठ रहे किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार नहीं है। और ना ही परिवहन विभाग इस सवाल का जवाब देते बन रहा है कि बिना बस की जांच पड़ताल किए आखिर फिटनेट सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दिया गया।