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लोकायुक्त सब इंस्पेक्टर बनकर लोगों से लाखों रुपए ऐंठे…

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लोकायुक्त सब इंस्पेक्टर बनकर लोगों से लाखों रुपए ऐंठने वाले शातिर जालसाज रामकुमार विश्वकर्मा ने लोकायुक्त की कार्यप्रणाली को लंबे समय तक समझा था। इसके लिए उसने अपने दो परिचितों को उकसाया और उनके जरिए दो सरकारी कर्मचारियों को लोकायुक्त से ट्रैप भी करवाया। इसी दौरान उसने लोकायुक्त कैसे कार्रवाई करती है, जांच के दौरान कैसे काम किया जाता है, अदालत में मामला पहुंचने पर क्या होता है ये बारीकियां समझ लीं।

लोकायुक्त डीएसपी एनएस राठौर ने रामकुमार को शुक्रवार को टीकमगढ़ जिला अदालत में पेश किया। पूछताछ व जब्ती का हवाला देकर टीम ने पुलिस रिमांड मांगी। इसे स्वीकार करते हुए अदालत ने रामकुमार को पांच दिन की रिमांड पर भेजने के आदेश कर दिए।

रामकुमार ने दो युवकों और एक युवती को बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर नौकरी पर रखा था। उन्हें आरोपी ने बाकायदा लोकायुक्त का नियुक्ति पत्र दिया था। तनख्वाह उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करता था। उन्हें कहता था कि सरकार तुम्हारी और मेरी तनख्वाह मिलाकर मेरे ही बैंक खाते में ट्रांसफर करती है। इसके बाद मैं तुम्हें भेजता हूं।

टीम उसे लेकर शनिवार को भोपाल पहुंचेगी। यहां उसका वॉयस टेस्ट और हैंडराइटिंग टेस्ट किया जाएगा। टीम ने रकम मांगने की ऑडियो और कुछ ऐसे दस्तावेज भी जब्त किए हैं। डीएसपी के मुताबिक आरोपी इतना शातिर है कि वह हूटर लगे एसयूवी वाहन से जिले के सरकारी दफ्तरों में पहुंच जाता था। यहां रौब दिखाकर मनरेगा, पंचायत समेत अन्य विभागों में वह सरकारी काम का ब्यौरा भी जान लेता था।

एक स्कूली शिक्षक के बेटे रामकुमार ने अंग्रेजी विषय से एमए पास किया है। वह एलएलबी भी कर चुका है। उसके पकड़े जाने की सूचना मिलते ही शुक्रवार को शंकरलाल अहिरवार नामक शख्स लोकायुक्त टीम के पास आ पहुंचा। उसने बताया कि आरोपी ने ट्रैप केस मामले में बचाने के लिए रामकुमार ने एक लाख रुपए लिए हैं। पुलिस ने शंकर के बयान दर्ज कर लिए हैं।

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