इंदौर.डीपीएस बस हादसे में जान गंवाने वाले चार मासूमों की फैमिली से मिलने रविवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान उनके घर पहुंचे। सीएम को देखते ही हरमीत की मां का गुस्सा फूट पड़ा। वहीं बाकि बच्चों के परिवार ने भी सिस्टम पर नाराजगी जताई। सीएम हाथ बांधे बात सुनते रहे। इस बीच 8-9 जनवरी को डीपीएस स्कूल में छुट्टी घोषित कर दी गई। कृति अग्रवाल की मां बोलीं- देखो मेरी ब्रिलियंट बेटी, स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से हमेशा के लिए दूर हो गई।
शील्ड देख सीएम भावुक हो गए।
श्रुति लुधियानी के परिजन बोले- हम बस इतना चाहते हैं कि जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
सीएम हाथ जोड़ बोले- ऐसा ही होगा।हरमीत कौर की मां जसप्रीत बोलीं-जानती हूं… 4 दिन का तमाशा है, कुछ नहीं बदलेगा। सीएम ने कहा- सिस्टम सुधारेंगे।इकलौते बेटे को गंवा चुकी मां मंजुला बोलीं- अब आप एेसा सिस्टम बना दो कि कोई अपना बेटा न गंवाए।
सीएम बोले- वाहनों की फिटनेस जांचेंगे।
15 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसें बंद होंगी
स्कूलों में 15 साल से पुरानी बसें नहीं चलेंगी। प्रदेश में 17,400 बसों में से ऐसी 2514 बसें हैं। इन्हें तीन महीने में बदला जाएगा।
बसों की फिटनेस के लिए ऑटोमेटेड सेंटर बनेगा। नए सिस्टम के तहत बस सेंटर में जाएगी और कम्प्यूटराइज्ड फिटनेस सामने आ जाएगी। बस की अधिकतम स्पीड 40 किमी प्रति घंटा रहेगी।
जीपीएस और स्पीड गवर्नर की गुणवत्ता के लिए केंद्रीकृत डाटा सेंटर स्थापित किया जाएगा। इससे बस की गति का अंदाज लगाया जा सकेगा। स्कूल प्रबंधन और पालकों के प्रतिनिधियों की संयुक्त समिति बनाई जाएगी। इसमें बस संबंधी शिकायतों, फीस बढ़ोतरी और व्यवस्था के नाम पर पैसा वसूलने संबंधी मामलों की समीक्षा होगी। पालक संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे इसकी जानकारी सरकार को दे सकेंगे। उस आधार पर कार्रवाई करेंगे।
डीपीएस बस जैसा हादसा ना हो और बस पर सीधी नजर रखने के लिए जिला प्रशासन ने जागरूक इंदौर नाम से पोर्टल बनाया है। इससे सभी स्कूल बसों के जीपीएस डाटा को जोड़ा जाएगा। पोर्टल की लिंक ट्रैफिक पुलिस, प्रशासन, स्कूल प्रबंधन के साथ पालकों के पास रहेगी। बस ने यदि तय स्पीड से अधिक रफ्तार पकड़ी तो रियल टाइम में तीन सेकंड के भीतर इसका अलर्ट सभी के पास चला जाएगा। इससे स्कूल प्रबंधन, ट्रैफिक पुलिस या अन्य तत्काल ड्राइवर को चेतावनी दे सकेंगे कि नियमों को तोड़ा जा रहा है। बस पर चालानी कार्रवाई भी होगी। पालक का बच्चा जिस बस से और जिस रूट से स्कूल आता-जाता है, वह केवल अपने बच्चे के रूट को ही देख सकेगा। उसके पास भी बस को लेकर अलर्ट जाएगा।
सभी को लॉग इन भी दिया जाएगा, जिससे वह ऑनलाइन देख सकेंगे कि बस अभी कहां है, कितनी देर में स्पॉट पर पहुंचने वाली है। बस कब स्कूल पहुंच रही है? कब वापस आ रही है? पोर्टल विकसित करने वाले विश्वास तिवारी ने कहा कि सत्यसाईं स्कूल की चार बसों में इसका ट्रायल भी चल रहा था, जो सफल रहा। कलेक्टर निशांत वरवड़े ने कहा कि देवी अहिल्या ऑडिटोरियम में इसी सप्ताह सभी स्कूलों की बैठक कर स्कूल प्रबंधन को ट्रेनिंग देंगे, उन्हें अपनी स्कूल बस के जीपीएस को इस पोर्टल से सीधे लिंक करना होगा। भोपाल में भी जागरूक पोर्टल बना है, लेकिन उसमें जीपीएस को लिंक करने की सुविधा नहीं है, उस पर केवल स्कूल संबंधी आदेश-निर्देश रहते हैं।