भोपाल .शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस के यात्रियों को बर्थ पर अब पहले से ज्यादा जगह मिल सकेगी। वहीं, ट्रेन की तेज रफ्तार के दौरान विभिन्न कोच में होने वाली हर तकनीकी गतिविधि पर लोको पॉयलट की नजर रहेगी। इसके लिए रैक में जो कोच शामिल किए जाएंगे, वे माइक्रो प्रोसेसर सिस्टम से ऑटोमेटिक कंट्रोल होंगे। यह सारी विशेषताएं भोपाल एक्सप्रेस के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा जल्द दिए जाने वाले जर्मन टेक्नोलॉजी के एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच के लगते ही संभव हो सकेगा। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहले भोपाल एक्सप्रेस को चार एलएचबी कोच मिलना था पर अब पूरा 24 कोच का रैक देने का निर्णय ले लिया गया है। यह कोच फरवरी तक लग जाएंगे।
इनका सस्पेंशन कप्लर के सहारे स्प्रिंग के झटके सहने में सक्षम होता है। जबकि वर्तमान में लगे कोच में इस तकनीक का उपयोग नहीं होता। इसलिए ट्रेन की तेज रफ्तार के दौरान यात्रियों को झटके महसूस होते हैं जर्मन टेक्नोलॉजी के यह कोच किसी दुर्घटना के वक्त एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते। बुश टेक्नोलॉजी के जरिए स्टेनलैस स्टील की चादर से इन कोच को बनाया जाता है, इस कारण यह दबकर रह जाते हैं।