भोपाल.स्कूलों में चलने वाली बसों में किस कंपनी ने स्पीड गवर्नर लगाए हैं, इसकी जांच अब पुलिस अपने स्तर पर कराएगी। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से स्पीड गवर्नर काम कर रहा है या नहीं इसके लिए बसों का ट्रायल भी लिया जाएगा। यदि बसों में स्पीड गवर्नर होने के बाद तय लिमिट 40 किमी से ज्यादा पर बस चलती है तो संबंधित कंपनी और मैकेनिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इंदौर में हुए स्कूल बस हादसे के बाद पुलिस को ऐसे इनपुट मिले हैं कि स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर को छेड़छाड़ कर लगाया जा रहा है। इसके पीछे की वजह शहर में पहाड़ी एरिया होना भी है।
पुलिस उन मैकेनिकों की घेराबंदी कर रही है जो स्कूल-काॅलेज बसों में स्पीड गवर्नर लगाने काम करते हैं। मैकेनिक ही पुलिस को बताएंगे कि बस ऑपरेटरों ने कब और किस कंपनी के स्पीड गवर्नर लगवाए। यह भी खुलासा होगा कि इन स्पीड गवर्नर में क्या छेड़छाड़ की गई। पुलिस उनके दस्तावेजों का भी परीक्षण करेगी।
सड़कों पर चैकिंग शुरू
स्कूल बसों की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के तहत 40 किमी से ज्यादा की स्पीड के गवर्नर नहीं लगाए जा सकते।इसके बाद भी बसों की रफ्तार 40 किमी से ज्यादा होती है। बसों की स्पीड ही हादसों का मुख्य कारण होती है। ऐसे में बस कंट्रोल नहीं हो पाती है। राजधानी पुलिस ने भी सड़कों पर उतरकर स्पीड गवर्नर की चैकिंग शुरू की गई है।इंदौर में स्कूल बस हादसे में मारे गए मासूमों को न्यू मार्केट में व्यापारियों और बच्चों ने श्रद्धांजलि दी। इस दौरान व्यापारियों ने मांग की कि स्कूल बसों की तेज रफ्तार पर ब्रेक लगना चाहिए ताकि बच्चे सुरक्षित रहें।