सरकार के गठन के बाद से ही गोयल को हटाने की कयासबाजी चल रही थी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुख्यमंत्री कार्यालय में ही केक कटवाने के बाद गोयल के तबादले को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। हालांकि सरकार ने तमाम कयासों को धता बताते हुए आखिरकार सोमेश गोयल की डीजीपी के पद से छुट्टी कर दी।
एक बैच जूनियर रहे डीजीपी संजय कुमार के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद वरिष्ठता और तत्कालीन मुख्य सचिव वीसी फारका से नजदीकी के चलते वीरभद्र सरकार ने तत्कालीन डीजी जेल सोमेश गोयल को डीजीपी बनाया था। उस दौरान भी सीताराम मरडी का नाम पद के लिए चर्चा में आया, लेकिन अंत में गोयल डीजीपी बन गए। पद ग्रहण करने के दिन ही गुड़िया प्रकरण का विवाद खड़ा हो गया, जिसके बाद से अब तक उन पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई थी।
इस बीच चुनाव हुए और सूबे में भाजपा की सरकार सत्ता पर काबिज हो गई। एक बार फिर चर्चा उठी कि गोयल को हटाकर मरडी को डीजीपी बनाया जा सकता है, लेकिन सरकार बनने के बाद डीजीपी सोमेश गोयल ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से उनके कार्यालय में ही केक कटवा दिया।इसके बाद माना जाने लगा कि उनका स्थानांतरण नहीं होगा। कुछ दिन तक मामला शांत रहा, लेकिन सोमवार रात सरकार ने सूबे की पुलिस के सबसे बड़े पद पर बदलाव को अमलीजामा पहना ही दिया।गोयल फिलहाल डीजी कांफ्रेंस में हिस्सा लेेने के लिए मध्य प्रदेश के बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर टेकनपुर गए हुए हैं। अब लौटने के बाद वह डीजी जेल के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे।