जिग्नेश मेवाणी मंगलवार को दिल्ली में युवा हुंकार रैली करने जा रहे हैं। हालांकि रैली को लेकर पुलिस ने मंजूरी नहीं दी है। वहीं, पार्लियामेंट स्ट्रीट (जंतर-मंतर) पर रैली को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पैरामिलिट्री फोर्स समेत 2000 जवानों की तैनाती गई है। दलित नेता जिग्नेश हाल ही में गुजरात के वडगाम से विधायक चुने गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के सपोर्ट पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हाल ही में जिग्नेश और जेएनयू के स्टूडेंट लीडर उमर खालिद के मुंबई में होने वाले प्रोग्राम को भी रद्द कर दिया गया था।
जिग्नेश ने ट्वीट कर बीजेपी पर तंज कसा, “बांध ले बिस्तर बीजेपी, राज अब जाने को है, जुल्म काफ़ी कर चुके, पब्लिक बिगड़ जाने को है।”वहीं दिल्ली के डीसीपी ने सोमवार को ट्वीट कर सुझाव दिया था कि ऑर्गनाइजर्स किसी दूसरी जगह रैली को शिफ्ट कर लें। जिग्नेश और उनके समर्थक संसद मार्ग पर रैली करना चाहते हैं। पुलिस ने ये भी कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का ऑर्डर है, लिहाजा प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती।
इस पर स्वराज इंडिया के लीडर और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “लोगों को गुमराह न करें। एनजीटी ने जंतर-मंतर को लेकर ऑर्डर दिया था, पार्लियामेंट स्ट्रीट को लेकर नहीं। मौलिक अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट भी हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात कहता रहा है। अगर पुलिस रैली को रोकने की कोशिश करती है तो ये गैर-लोकतांत्रिक और मूलाधिकारों का उल्लंघन होगा।” आयोजकों का कहना है कि वे सरकार के नए रोजगार पैदा न कर पाने और राइट विंग द्वारा की जा रही हिंसा को लेकर रैली कर रहे हैं।
उधर, दिल्ली में मेवाणी के खिलाफ भी पोस्टर लगाए गए हैं। इसमें उन्हें भगोड़ा जिग्नेश मेवाणी कहा गया है।
एक अन्य पोस्टर्स में लिखा है, “सबकुछ करेंगे लेकिन डिबेट नहीं करेंगे। वे नक्सलियों से साठगांठ करते हैं और भड़काऊ भाषण देते हैं।” जेएनयू के पूर्व स्टूडेंट लीडर मोहित ने कहा कि जंतर-मंतर पर और भी लोगों को अपनी बात रखने का हक मिलता रहा है। हम भी अपनी बात रखने आए हैं। हम बताना चाहते हैं कि लोगों की हक की बात करने वालों को जेल में क्यों डाल दिया जाता है।” बता दें कि आरटीआई एक्टिविस्ट अखिल गोगोई भी रैली में शिरकत कर सकते हैं।
4 जनवरी को पुलिस ने जिग्नेश और उमर खालिद के मुंबई के विले पार्ले में होने वाले प्रोग्राम को रद्द कर दिया।
पुलिस ने उस हॉल को भी सील कर दिया था, जिसमें प्रोग्राम होने वाला था। ऑर्गनाइजर्स ने इसे मामले में पुलिस पर जबरदस्ती परेशान करने का आरोप लगाया प्रोग्राम का आयोजन छात्र भारती सभा कर रही थी, लेकिन भीमा-कोरेगांव हिंसा को देखते हुए पुलिस ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया। जिग्नेश-खालिद पर भीमा-कोरेगांव इलाके में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 153(A), 505 और 117 के तहत केस दर्ज किया गया था।
दोनों पुणे के शनिवारवाड़ा में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित ‘यलगार-परिषद’ में शामिल हुए थे। इसके बाद पुणे की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज करवाया।