Home धर्म/ज्योतिष जानें, कब है षट्तिला एकादशी और क्या है इसका महत्व?…

जानें, कब है षट्तिला एकादशी और क्या है इसका महत्व?…

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माघ का महीना भगवान् विष्णु का महीना माना जाता है. एकादशी की तिथि विश्वेदेवा की तिथि होती है. श्री हरि की कृपा के साथ समस्त देवताओं की कृपा का यह अद्भुत संयोग केवल षटतिला एकादशी को ही मिलता है इसलिए इस दिन दोनों की ही उपासना से तमाम मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं. इस दिन कुंडली के दुर्योग भी नष्ट किये जा सकते हैं. इस बार षठतिला एकादशी 12 जनवरी को आयेगी.

इस बार षठतिला एकादशी पर ग्रहों का क्या संयोग होगा?

– चन्द्रमा जल तत्व की राशि वृश्चिक में होगा

– बृहस्पति और मंगल का सम्बन्ध भी बना रहेगा

– सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जिससे स्नान और दान विशेष लाभकारी होगा

– शनि और सूर्य का भी योगकारक सम्बन्ध बना रहेगा

– इस बार के स्नान से शनि की समस्याएं कम होंगी

– साथ ही कुंडली के दुर्योग भी समाप्त होंगे

षठतिला एकादशी पर उपवास और अन्य नियमों का पालन कैसे करें ?

– यह व्रत दो प्रकार से रक्खा जाता है -निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत

– सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए

– अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए

– इस व्रत में तिल स्नान,तिल युक्त उबटनलगाना , तिल युक्त जल और तिल युक्त आहार ग्रहण करना तथा तिल का दान जैसे ६ काम जरूर करने चाहिए

– मुक्ति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस दिन गोबर,कपास और तिल का पिंड भी बनाया जाता है तथा उसका पूजन करके संध्या काल में उसी से हवन किया जाता है

किस प्रकार करें आज के दिन विशेष स्नान?

– प्रातः काल या संध्याकाळ स्नान के पूर्व संकल्प लें

– पहले जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें

– फिर स्नान करना आरम्भ करें

– स्नान करने के बाद सूर्य को तिल मिले जल से अर्घ्य दें

– साफ़ वस्त्र धारण करें , फिर श्री हरि के मंत्रों का जाप करें

– मंत्र जाप के पश्चात वस्तुओं का दान करें

– चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं

आज के दिन श्री हरि की उपासना कैसे करे?

– तिल और गुड मिलाकर लड्डू बनायें

– तिल के अन्य व्यंजन और पकवान भी बना सकते हैं

– रात्रि में भगवान् विष्णु के सामने घी का एक मुखी दीपक जलाएं

– उन्हें तिल के व्यंजनों का भोग लगायें

– इसके बाद अपने उद्देश्यों के अनुसार उनके मन्त्र का जाप करें

– तिल का प्रसाद लोगों में बाँटें और स्वयं भी ग्रहण करें

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