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राज्यपाल के अभिभाषण पर विपक्ष ने जयराम की टीम को घेरा…..

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सियासी पिच पर अंतिम दिन बैटिंग को उतरे सत्ता पक्ष के कप्तान जयराम ठाकुर विपक्ष की धारधार गेंदबाजी पर सधे अंदाज में खेले। नेता विपक्ष मुकेश की राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जयराम की ओर फेंकी गुगली को वेल लेफ्ट कर दिया। राज्यपाल के अभिभाषण पर विपक्ष ने जिस अंदाज में जयराम की टीम को घेरा उन्होंने उसपर तीखा पलटवार नहीं किया। सवालों की बौछार का जवाब विपक्ष को कम शब्दों में मिला। जयराम ने रक्षात्मक ढंग से अपना पक्ष विपक्ष के सामने रखा।

विकास का रोडमैप जानने को उत्सुक विपक्ष को संयम बरतने की सलाह दी। इसकी वजह भी उन्होंने बताई कि वे बोलते कम हैं पर काम ज्यादा करने की कोशिश करते हैं। उधर, अपने पैंतरे सही पड़ते देख विरोधी टीम के कप्तान मुकेश ने सत्र खत्म होने बाद अब जयराम की टीम को बाहर घेरने के लिए नई फील्डिंग सजाने के संकेत दिए। राज्यपाल के अभिभाषण पर दो दिन चली चर्चा का अंत जयराम ने किया। विपक्ष पर हावी होने की जगह जयराम ने बड़ी साफगोई से अपनी बात रखी। नेता विपक्ष मुकेश के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पिक्चर में लाकर रिमोट वाले मुख्यमंत्री को लेकर दी नसीहत को उसी चुटिले अंदाज में वापस किया।

वे बोले कि गाड़ी में वो गेयर भी खुद डालते हैं। स्टीयरिंग और ब्रेक भी उनके पास है। मुकेश की गुगली पर न वे आउट हुए और न ही उन्होंने सिक्सर मारा। दर्शकों को जिस रोमांच की उम्मीद थी वैसा नहीं हुआ।अभिभाषण के कमजोर होने के नाम पर विरोधी टीम की ओर से फेंकी हर गेंद को उन्होंने अपने अंदाज में खेला। उन्होंने विपक्ष को आगाह भी किया कि अगर वे पिछली सरकार को घेरने पर आए तो काफी कुछ उनके पास भी रखा गया है। उन्होंने बताया कि सौ दिन के लिए वे लक्ष्य तय करेंगे, लेकिन प्राथमिकताओं पर खुलकर नहीं बोले। ऐसा लगा कि वे सरकार की प्लानिंग को सार्वजनिक करने से बच रह हैं। इसे केंद्र सरकार के मोदी मंत्र का असर भी माना जा रहा है। तभी योजनाओं की घोषणाएं करो पर उनको ग्राउंड पर उतारने की पूरी तैयारी हो चुकी हो। विपक्ष का कौतुहल बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि सही समय पर बताएंगे कि क्या करने वाले हैं।

यह उनकी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। उन्होंने विपक्ष को बेतरतीब ढंग से खर्चा करने और प्रदेश पर 46500 करोड़ का कर्ज लादने का दोषी साबित किया। कानून व्यवस्था, रोजगार की बात उन्होंने की, लेकिन अभिभाषण में जो दूसरे सेक्टरों पर्यटन, उद्योग, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि में सरकार कैसे सुधार करेगी, इसको लेकर कुछ खास नहीं कहा। पार्टी के विजन डाक्यूमेंट पर विपक्ष ने जिस तरह तीखे हमने किये , उसपर जयराम ने केवल इतना कहा कि अब वो नीतिगत दस्तावेज हैजयराम ने सदन में ऐसी कोई दावा या वायदा नहीं कही, जिसके लिए विपक्ष बाद में उन्हें जवाबदेह बना सके। विकास के रोडमैप की बात पर मुख्यमंत्री जयराम ने विपक्ष को कहा कि हम जल्दबाजी में क्यों है? उन्होंने कई बार विपक्ष को धैर्य रखने की सलाह दी। हालांकि इससे पहले एक बार फिर सत्ता पक्ष पर विपक्ष हावी दिखा।

आशा कुमारी के तीखे तेवर रहे, जबकि सत्ता पक्ष उनको घेरने की कोशिश असफल रही। दूसरी तरफ, जयराम की संबोधन खत्म होने के बाद मुकेश ने सवालों की बौछार कर साफ कर दिया कि अब दोनों ओर के बीच फ्रेंडली मैच की कोई गुंजाइश नहीं है। खुद को पार्टी का अगला नेता साबित करने में यह उनकी कोशिश आने वाले दिनों में दोनों और सियासी गर्माहट बढ़ा सकती है।

प्रदेश का पहला डिप्टी सीएम बनना था तय: जयराम ने पूरे संबोधन में केवल मुकेश की उन्हीं बातों पर जवाब और पलटवार किया जो सियासी थी। नेता विपक्ष के मुख्यमंत्री प्रत्याशी कोई और बना कोई और वाले तंज का उन्होंने सधे अंदाज में कहा कि आपकी पार्टी में भी ऐसा हुआ, तभी तो आप नेता विधायक दल बने। जयराम ने दुर्घटना से सीएम बनने वाले विपक्ष के बयान पर साफ किया कि चुनाव से पहले यह तय हो गया था कि वे उपमुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उनके चुनाव क्षेत्र में हुई रैली में इसका इशारा कर दिया था। पहली बार जयराम ने इस बात का खुलासा किया। धूमल अगर जीत कर सीएम बनते तो वे प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री होते।सत्र के समाप्त होने के बाद जयराम मुस्कराते चेहरे के साथ विपक्ष की दीर्घा की ओर बढ़े। उन्होंने नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से बेहद गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया। वीरभद्र से रुककर कुछ देर बातचीत भी की।

उनके साथ मंत्री महेंद्र सिंह भी थे। मुख्यमंत्री के बाद कई और सत्ता पक्ष के मंत्री विधायक वीरभद्र सिंह से मिलने पहुंचे। कइयों ने उनसे पैर छूकर आशीर्वाद लिया। मंत्री विक्रम सिंह के साथ काफी समय तक बातचीत की। पहली बार जीतकर आए विधायक परमजीत सिंह पम्मी को गले लगाया।

विधायक दल की बैठक में बनाई रणनीति:विधानसभा सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्ष में विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज नहीं रहे। वे शिमला के लिए निकल गए थे। मुख्यमंत्री ने सदन में अपने संबोधन से पहले साथी विधायक को समझाया कि विपक्ष को कैसे घेरें।

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