बोधगया को दोबारा दहलाने की साजिश नाकाम हो गई है। संदिग्ध आतंकियों ने महाबोधि मंदिर परिसर के आसपात तीन जगहों पर विस्फोटक छुपा रखे थे। कालचक्र मैदान के गेट नम्बर चार के पास से एक विस्फोटक और दो उससे कुछ दूरी पर रखे गए थे। बम मिलने के बाद इसे निरंजना नदी में रखा गया है। बाद में निष्क्रिय किया जाएगा।
पुलिस जांच में तीन संदिग्धों को भी सीसीटीवी में देखा गया है। शाम साढ़े चार बजे ये तीनों संदिग्ध मंदिर में प्रवेश करते देखे गए। इन तीनों में दो भारतीय और एक नेपाली शामिल हैं।
इससे पहले बम मिलते ही पूरे इलाके में सघन तलाशी अभियान शुरू किया कर दिया गया। वहीं, बिहार पुलिस ने तीन जगहों से विस्फोटक मिलने की पुष्टि की है। बताया जाता है कि कालचक्र मैदान के गेट नम्बर चार के जेनरेटर के पास थरमस फटने की घटना हुई। इसकी आवाज सुनकर सुरक्षा में तैनात पुलिसवाले वहां पहुंचे।
आसपास के इलाके को पुलिस ने अपने घेरे में लेकर तलाशी शुरू कर दी। इसी दौरान लावारिस हालत में वहां एक बैग मिला। संदिग्ध वस्तु दिखने के बाद तत्काल बम निरोधक दस्ता को बुलाया गया। स्कैन करने पर केन में विस्फोटक की बात सामने आई। इसके बाद तलाशी का दायरा बढ़ा दिया गया। पुलिस के मुताबिक श्रीलंका मॉनिस्ट्री के पास चौराहे के करीब एक पेड़ के चबूतरे के नीचे बैग में रखा दूसरा विस्फोटक मिला। साथ ही महाबोधि मंदिर के बाहर लाल चबूतरा के पास भी ऐसा ही एक थैला दिखा। जांच में इसमें भी विस्फोटक होने की बात सामने आई।
सीआरपीएफ और एसएसबी के बम निरोधक दस्ता ने सबसे पहले तीनों विस्फोटकों को अपने कब्जे में लेते हुए वहां से हटा दिया। विस्फोटक भीड़भाड़ से दूर सुरक्षित स्थान पर रखे गए हैं। उनकी छानबीन की जा रही है। बताया जाता है कि उसमें अमोनियम नाइट्रेट समेत दूसरे विस्फोटक और तार लगे हैं। मगध रेंज के डीआईजी और गया की एसएसपी गरिमा मल्लिक मौके पर मौजूद हैं।
बोधगया में इस समय आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का कालचक्र मैदान में प्रवचन चल रहा है। उन्हें महाबोधि मंदिर के पास स्थित तिब्बती बौद्ध मंदिर में ठहराया गया है। शुक्रवार को ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी बोधगया के दौरे पर थे। इतनी सुरक्षा के बावजूद कालचक्र मैदान के गेट के पास विस्फोटक मिलना सुरक्षा पर बड़ा सवालियान निशान खड़ा कर रहा है। विस्फोटक मिलने के बाद दलाई लामा के ठहरने के स्थान के आसपास सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है।
महाबोधि मंदिर समेत बोधगया के कई हिस्सों में 7 जुलाई 2013 को सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। सीरियल धमाकों को इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया था। पटना के गांधी मैदान में अक्टूबर 2014 में हुए धमाकों के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन के कई आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें आईएम का संस्थापक सदस्य यासीन भटकल के अलावा आईएम का तहसीन अख्तर उर्फ मोनू, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी समेत दर्जन भर से ज्यादा संदिग्ध आतंकी पकड़े गए थे। आईएम के इस ग्रुप ने रांची में अपना अड्डा बना रखा था। बोधगया और पटना के गांधी मैदान बम धामकों की जांच एनआईए को सौंपी गई थी। 2013 में हुए धमाकों के बाद महाबोधि मंदिर की सुरक्षा चाक-चौबंद की गई थी। माना जा रहा है कि धमाकों के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी सुरक्षा चूक है।