आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी अर्जी वापस ले ली है. पार्टी विधायकों ने अर्जी में खुद को अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी. ‘आप’ विधायकों के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उनकी याचिका अर्थहीन हो गई है, क्योंकि राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिश स्वीकार कर ली है और उन्हें अयोग्य करार देने की अधिसूचना जारी की जा चुकी है.आप विधायकों के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह लाभ के पद मामले में 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले राष्ट्रपति के आदेश का परीक्षण करने के बाद अपील दायर करेंगे.हाईकोर्ट में इस मामले पर चार बजे सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही अपनी याचिका वापस ले ली.
गौरतलब है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य करार दे दिए गए हैं. एक दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर लिया था. विधि मंत्रालय द्वारा एक दिन पहले जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया था कि निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गई राय के आलोक में दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को अयोग्य करार दिया गया है. आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और इस पद को याचिकाकर्ता ने लाभ का पद बताया था.
ये हैं अयोग्य करार दिए गए ‘आप’ के 20 विधायक
- आदर्श शास्त्री
- अलका लांबा
- संजीव झा
- कैलाश गहलोत
- विजेंदर गर्ग
- प्रवीण कुमार
- शरद कुमार चौहान
- मदन लाल
- शिव चरण गोयल
- सरिता सिंह
- नरेश यादव
- राजेश गुप्ता
- राजेश ऋषि
- अनिल कुमार बाजपेई
- सोम दत्त
- अवतार सिंह
- सुखबीर सिंह
- मनोज कुमार
- नितिन त्यागी
- जरनैल सिंह
अधिसूचना में कहा गया, ‘निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गई राय के आलोक में, मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली विधानसभा के उक्त 20 सदस्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाते हैं.’ आप के सभी 20 विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.