सेंचुरियन टेस्ट में भले ही दक्षिण अफ्रीका की टीम आसानी से जीत गई हो लेकिन वहां की पिच से मेजबान टीम और कप्तान फाफ डु प्लेसिस नाखुश नज़र आए. टीम के तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्केल ने सेंचुरियन टेस्ट के दौरान कहा था कि ‘मैंने पूरी ज़िंदगी यहां क्रिकेट खेला है और मुझे आज तक इस तरह की पिच नहीं दिखाई दी.पहली पारी में हमें काफ़ी मेहनत करनी पड़ी.इस गरमी में, हालात बेहद मुश्किल थे. यह मेरे करियर के सबसे मुश्किल गेंदबाज़ी स्पेल्स में से एक रहा.’ सेंचुरियन की पिच के अपने इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस बार घरेलू टीम ने साफ़ तौर पर तेज़ पिच की मांग की और क्यूरेटर के मुताबिक इस बार जोहांसबर्ग टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को मनमाफ़िक पिच मिलेगी.
वांडरर्स के चीफ़ पिच क्यूरेटर बेथ्युएल बूथलेही ने कहा, ‘हमने पिच पर अच्छी घास छोड़ी है. अब मैच से पहले घास को नहीं काटा जाएगा. हमने दक्षिण अफ़्रीकी टीम की मांग को सुनने के बाद यह पिच तैयार की है.यहां किसी तरह की स्पिन गेंदबाज़ों को नहीं मिलेगी और पिच में काफ़ी रफ़्तार और उछाल होगा .इस पिच पर नतीजा आएगा.’ हालांकि कई बार देखा गया है कि दूसरी टीम के लिए ‘गड्ढा खोदना’ घरेलू टीम को महंगा पड़ा है. वर्ष 2006 में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई भारतीय टीम ने इस मैदान पर तेज़ पिच पर ही घरेलू टीम को हराया था. इसी तरह पिछले साल ऑस्ट्रेलिया ने भारत को टर्निंग ट्रैक पर पुणे में मात दी थी.
वैसे, वांडरर्स मैदान के आंकड़ें देखें तो घरेलू ज़मीं पर दक्षिण अफ्रीका का सबसे ख़राब रिकॉर्ड यहीं रहा है. वर्ष 1956 से अब तक कुल 37 मैच खेले गए हैं. होम टीम ने इनमें से 15 मैच जीते और 11 हारे हैं बाकी 11 मैच ड्रॉ रहे है. भारतीय टीम के लिहाज से बात करें तो टीम ने अपने चार टेस्ट में से यहां एक में जीत हासिल की है. भारतीय टीम को अगर तीसरे टेस्ट में जीत हासिल करनी है तो उसे बेखौफ़ क्रिकेट खेलना होगा. वैसे भी पिच तेज़ हुई तो जीत का बराबरी का मौक़ा टीम इंडिया के पास भी होगा क्योंकि अब तक सीरीज़ में दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ भी भारतीय गेंदबाज़ों का सामना नहीं कर सके हैं.