मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार जनजनित रोगों के मामलों के प्रति गंभीर है। प्रदेश के किसी भी भाग में जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास किए जायेंगे। उन्होंने सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने, स्थिति पर निगरानी रखने तथा लोगों की फीडबैक को प्राथमिकता देने पर बल दिया।
मुख्यमंत्री आज यहां स्वास्थ्य तथा सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हर वर्ष जलजनित रोगों के वायरस के सक्रिय होने के कारणों का पता लगाने के लिए कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि खतरे की कोई भी स्थिति नहीं है, परन्तु हर स्तर पर जलजनित रोगों के फैलने पर नजर रखने व रोकथाम के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग को जल स्त्रोतों की सुचारू सफाई व्यवस्था सुनिश्चित बनाने तथा पर्याप्त मात्रा में ग्रामीण स्तर पर ब्लीचिंग पाऊडर की उपलब्धता बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नगर निगम को सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के साथ मिल-जुलकर कार्य करना चाहिए और सभी जल भण्डारन टैंकों, जलाश्यों तथा पारम्परिक जल स्त्रोतों की नियमित रूप से सफाई तथा क्लोरीनेशन करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेयजल को सुरक्षित बनाए रखने व लोगों को इस बारे में शिक्षित करने के लिए एक सघन अभियान आरम्भ किया जाना चाहिए, जिसमें पंचायतों, महिला मण्डलों तथा स्कूलों को भी शामिल करना चाहिए। उन्होंने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को क्लोरीनेशन करने, प्रदेश के सभी मुख्य शहरों के जलाश्यों का रखरखाव सुनिश्चित बनाने तथा लोगों को सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के लिए प्रेरित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने पानी के नमूने व जांच को सही प्रकार से करने और जल भण्डारन टैंकों तथा पाईपों में किसी प्रकार का रिसाव की रोकथाम को भी सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए।
श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि सरकार राज्य की 300 पम्पिंग योजनाओं का स्तरोन्यन करने पर विचार कर रही है और लोगों की मांग की तर्कसंगता पर विचार करने के उपरान्त ट्यूबवैल स्थापित किए जायेंगे। उन्होंने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को जहां आवश्यकता हो वहां पर पर्याप्त हैंडपम्प स्थापित करने तथा टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति के लिए जल स्त्रोत चिन्हित करने को भी कहा।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि जलाश्यों में अतिरिक्त क्लोरीनेशन के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं और विभिन्न जलाश्यों से जल के नमूने लिए जा रहे हैं ताकि लोगों को गुणवत्तायुक्त पानी उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि गत 15 दिनों के दौरान 20,900 जल भण्डारन टैंकों की सफाई कर ली गई है। उन्होंने कहा कि लोगों की फीडबैक को भी एकत्रित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में 9394 जलापूर्ति योजनाएं कार्य कर रही हैं। सूखे के कारण यदि कुछ कठिनाई आएगी, तो विभाग खराब हैंडपम्पों की मुरम्मत करने के अतिरिक्त नए हैंडपम्प स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि 1100 हैंडपम्प स्थापित किए जायेंगे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि लम्बे सूखे व भारी बारिश के कारण जलजनित रोग पनपते हैं। गत वर्ष पीलिया के 46 मामले सामने आए थे जबकि इस वर्ष मात्र नौ मामले सामने आए हैं, जिनमें छः मामले हैपेटाईटिस-ए तथा तीन मामले हैपेटाईटिस-ई के शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में हैपेटाईटिस की निःशुल्क जांच व उपचार सुविधा प्रदान की जा रही है।
मुख्य सचिव श्री विनीत चौधरी ने कहा कि सूखे से निपटने के बचाव उपायों के लिए सम्बद्ध विभागों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं ताकि जलजनित बीमारियों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में लोगों को आवश्यक बचाव उपाय अपनाने के बारे में शिक्षित करने के लिए आईईसी को पहले ही प्रभावी रूप से आरम्भ कर दिया गया है तथा प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव श्रीमती मनीषा नन्दा, प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री प्रबोध सक्सेना, सचिव सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्री देवेश कुमार, सचिव (ग्रामीण विकास) डॉ. आर.एन. बत्ता, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क श्री अनुपम कश्यप तथा राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।