सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रकृति की असीम ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तमाम विधान बनाए गए हैं. उन्ही में से एक है “रथ या आरोग्य सप्तमी” जो माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन को कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को सूर्य की जन्मतिथि भी कहा जाता है. इस दिन पूजा और उपवास से आरोग्य तथा संतान की प्राप्ति होती है इसलिए इसको आरोग्य सप्तमी और पुत्र सप्तमी कहा जाता है.
किन लोगों के लिए यह उपवास व्रत या पूजा विशेष फलवती है?
जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा हो
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि का हो
जिन लोगो का स्वास्थ्य लगातार खराब रहता हो
जब बच्चे खूब बदमाशी करते हों
जिन को शिक्षा में लगातार बाधा आ रही हो या आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर पा रहे हों
जिन लोगों को प्रशासनिक कार्य करने हों या प्रशासनिक सेवा में जाना हो
कैसे करें रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी को पूजा आराधना?
अपरान्ह तक स्नान करें तथा सूर्य, और पितृ पुरुषों को जल अर्पित करें
लाल पुष्प और शुद्ध मीठा पदार्थ अर्पित करें
गायत्री मंत्र या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें
जाप के उपरान्त गेंहू, गुड़, तिल, तांबे का बर्तन तथा लाल वस्त्र दान करें
तत्पश्चात घर के प्रमुख के साथ-साथ सभी लोग भोजन ग्रहण करें
इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसको रथ सप्तमी भी कहते हैं.