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चारा घोटाला के एक और मामले में लालू यादव व जगन्नाथ मिश्र दोषी करार…..

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 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद  को चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में रांची की अदालत ने दोषी करार दिया है. अदालत ने इस मामले में लालू समेत 12 आरोपियों को दोषी करार दिया है. सीबीआई अदालत में दोषी करार दिए जाने के बाद लालू समेत सभी की सजा पर जिरह सुनी. इसके बाद अदालत ने दोषियों की सजा पर फैसला दो बजे तक टाल दिया. जब यह घोटाला हुआ था तो वह बिहार के सीएम थे. यह 33.67 करोड़ के घोटाले का मामला है. अदालत ने इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री जगननाथ मिश्रा को भी दोषी करार दिया है्. हालांकि वह कोर्ट में मौजूद नहीं थे क्‍योंकि उनकी पत्‍नी का देहांत हो गया है. अदालत ने इस मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया है.  लालू के बेटे तेजस्‍वी ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस ने उन्‍हें फंसाया और इसमें नीतीश कुमार की भूमिका सबसे बड़ी रही है. उन्‍होंने कहा है कि निचली अदालत का फैसला अंतिम नहीं है और हमारे पास विकल्‍प है. हम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. लालू को दोषी करार दिए जाने पर आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद ने कहा कि हम पहले भी झटके झेल चुके हैं. अब हम दो स्‍तर पर लड़ाई लड़ेंगे एक कानूनी और दूसरी लड़ाई सड़क पर लड़ी जाएगी.

चारा घोटाला के चाईबासा मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गई थी और मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के यहां स्थित एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 33 करोड़, 67 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने के मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया.

इससे पहले छह जनवरी को रांची में ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने लालू यादव को देवघर कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में साढ़े तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.

नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जहां साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. वहीं उनके दो पूर्व सहयोगी लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये जुर्माना एवं बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख रूपये जुर्माने की सजा विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाई. जिसके बाद जमानत के लिए उनके पास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं बचा है.

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