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टीवी शोज का मजा लेते हुए कभी सोचा है क्‍यों स्‍क्रीन पर अचानक दिखने लगते हैं कुछ अंक….

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टेलीविजन पर कोई फिल्‍म या अपना पसंदीदा कार्यक्रम देखते समय आपने कई बार स्क्रीन पर कुछ अजीब से अंक देखे होंगे। क्‍या आपने कभी सोचा कि ये अजीब अंक भला क्‍यों दिखाते हैं। कुछ लोगों को लगता होगा कि ये नंबर चैनल के कंट्रोल रूम या सैटेलाइट से दिखाए जाते हैं और वही नंबर सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि दुनिया की हर एक टीवी पर एक सा ही दिखता है। अगर आपको भी कुछ ऐसा ही लगता है, तो चलिए जान ही लीजिए इन नंबरों के पीछे का असली गणित। टीवी स्‍क्रीन के कोनों या कभी कभी एक्‍टर्स के चेहरे पर भी दिखाई देने वाले इन अंकों के पीछे का सबसे अनोखा सच तो यह है कि आपकी टीवी पर दिखने वाला कोई भी नंबर पूरी तरह से यूनिक है यानी कि वह देश में किसी भी दूसरे टेलीविजन पर नहीं दिखता। ये नंबर आमतौर पर 8 डिजिट के होते हैं और इनमें अंग्रेजी के अक्षर और 1 से 0 तक के अंक रैंडम क्रम में होते हैं। कुछ सेकेंड तक दिखाई देने के बाद ये नंबर अपने आप ही गायब हो जाता है। इस नंबर के द्वारा डिजिटल टीवी प्रदाता या चैनल यह आसानी से जान सकता है कि संबंधित नंबर वाला टीवी कनेक्‍शन या सेटटॉप बॉक्‍स किस उपभोक्‍ता के घर पर लगा है।

 

पायरेसी रोकने के लिए जरूरी

दरसल टीवी के तमाम चैनलों पर किसी कार्यक्रम या फिल्‍म के दौरान यूं ही कभी भी दिखाई देने वाले ये अजीबोगरीब नंबर्स बेवजह नहीं होते बल्‍कि इनका इस्‍तेमाल पायरेसी को रोकने के लिए होता है। इसके पीछे का तर्क यह है कि अगर कोई टीवी उपभोक्‍ता अपने घर की टीवी पर कैमरा या स्‍क्रीन रिकॉर्डर लगाकर शो या फिलम रिकॉर्ड कर ले, तो वो पाइरेटेड वीडियो दोबारा कहीं भी दिखाया जाएगा, तो रिकॉर्डिंग में ये नंबर भी दिखाई देंगे जिससे टीवी कंपनी और चैनल को आसानी से पता चल जाएगा कि वो टीवी प्रोग्राम किस घर से रिकॉर्ड किया गया है। कई बार महंगे शो, फिल्‍म प्रीमियर या इवेंट्स का प्रसारण टीवी पर सिर्फ एक बार किया जाता है, लेकिन कुछ लोग उसको रिकॉर्ड करके यानि पायरेसी करके उन्हें किसी लोकल प्राइवेट चैनल को औने पौने दामों पर बेच देते हैं या फिर इंटरनेट अथवा टोरेंट जैसी वेबसाइट पर डाल देते हैं। इससे चैनलों को आर्थिक नुकसान होता है। इसी तरह की पायरेसी को रोकने के लिए टीवी प्रसारण कंपनियां हर टीवी स्क्रीन पर ऐसा यूनीक और रैंडम नंबर बीच बीच में डिस्प्ले करती रहती हैं, जो कि सॉफ्टवेयर द्वारा पूरी तरह से ऑटोमेटेड होता है और कभी भी कहीं भी दिखाई दे सकता है। टीवी से होने वाली पायरेसी रोकने का यह अनोखा तरीका काफी कामयाब भी है।

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