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प्रदेश में कृषि के बाद अब एमएसएमई में स्थापित हुए कीर्तिमान….

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मध्यप्रदेश देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जिनके पास एमएसएमई के लिए अलग विभाग है। इन इकाइयों की स्थापना के लिये तेजी से किये जा रहे कार्यों के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। प्रदेश में तीन सौ से ज्यादा एमएसएमई क्‍लस्टर हैं। जिनके अधोसंरचना विकास के लिए केन्‍द्र से सहयोग का अनुरोध किया गया है।

2016 में हुए एमएसएमई सम्मेलन की घोषणा अनुसार सभी जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र में एमएसएमई सुविधा केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं। इन सुविधा केन्द्रों के लिये बेकअप टीम के रूप में कन्सलटेंट का एक दल उद्योग संचालनालय, भोपाल में कार्यरत है।

लघु संवर्धन बोर्ड निपटायेगा एमएसएमई की समस्याएँ

प्रदेश में एमएसएमई इकाईयों की समस्याओं तथा उनके निराकरण के लिए लघु संवर्धन बोर्ड गठित किया गया है। बोर्ड द्वारा उद्योग संघों से प्राप्त सुझावों पर सभी विभागों के साथ चर्चा की जाकर समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है।

भू- खण्ड आवंटन प्रीमियम में सर्वाधिक रियायत

प्रदेश में एमएसएमई इकाईयों को औद्योगिक क्षेत्र में न केवल भूमि उपलब्ध करवाई जाती है बल्कि प्रीमियम में 95 फीसदी की छूट भी दी जाती है। इससे भू-खण्ड आवंटन में सर्वाधिक रियायत वाले राज्यों में अब प्रदेश भी शामिल है। भूमि प्रबंधन नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि उद्योग संघ चाहे तो औद्योगिक क्षेत्र के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी ले सकता है। विभाग के अधीन 189 क्षेत्र में 6229 हैक्टेयर से ज्यादा विकसित भूमि है। साथ ही 25 हजार हैक्टेयर शासकीय भूमि चिन्हित कर लेंडबैंक के रूप में उपलब्ध है।

प्रदेश की जीडीपी में फीसदी योगदान

देश की जीडीपी में एमएसएमई का योगदान 8 फीसदी है जबकि प्रदेश की जीडीपी में यह योगदान 9 फीसदी है। अब तक साढ़े चार लाख एमएसएमई का पंजीयन हो चुका है। जिनमें लगभग 14 लाख लोगों को रोजगार मिला है। एमएसएमई विभाग से मिलकर 13 अन्य विभाग उद्यमियों को लाभान्वित कराने के लिए नवाचारों को स्वरूप दे रहे हैं। इस साल दो लाख इकाइयों का पंजीयन किया जाएगा। प्रदेश में 22 इन्क्यूवेशन केन्द और 100 स्टार्ट अप उद्यम शुरू किए जा चुके हैं।

जीएसटी के बाद एमएसएमई नई नीति लागू

जीएसटी लागू होने के बाद नए संदभों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने नई नीति तैयार की गई है। इस नई नीति अप्रैल 2018 से प्रभावशील होगी।

19 माह में 8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार

प्रदेश में सूक्ष्म,लघु तथा मध्यम उद्यम विभाग के गठन के बाद मात्र 19 माह की अवधि में करीब ढाई लाख एमएसएमई इकाईयाँ स्थापित की जा चुकी हैं। इनमें 1 लाख 42 हजार 65 सूक्ष्म, 9723 लघु एवं 369 मध्यम उद्योग इकाईयां शामिल हैं। इन इकाईयों से आठ लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है और 1979 करोड़ रूपये से अधिक का पूँजी निवेश हो चुका है।

स्व-रोजगार योजना से युवाओं को मिला लोन

युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए एमएसएमई विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना एवं मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा स्वरोजगार उद्यमी तथा 4500 युवा उद्यमियों को ऋण एवं विभागीय सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं हैं। केन्द्र की मदद से देवास में लेदर इक्यूबेशन सेन्टर, स्थापित हो गया है। वेन्डर विकास कार्यक्रम में 100 वृहद इकाइयों को एक हजार वेन्डर इकाइयों के साथ जोड़कर उन्हें सप्लाई आर्डर दिलवाया गया है। शासकीय विभागों के लिये भण्डार क्रय नियमों को सुगम करते हुए लघु उद्योग निगम में ‘ऑन लाइन भुगतान’ व्यवस्था लागू की गई है।

एमएसएमई के सम्मेलन में एक साथ हुईं 26 घोषणाएँ

पहले एमएसएमई सम्मेलन की 24 घोषणाओं में से 19 का क्रियान्वयन किया जा चुका है। दूसरे सम्मेलन में की 26 घोषणाओं में इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि उद्योग के क्षेत्र में खास तौर पर सूक्ष्म और लघु उद्योगों को अधिक सशक्त बनाया जा सके।

प्रमुख घोषणाएं

  • एमएसएमई ईकाई के उत्पाद की गुणवत्ता प्रमाणित करने और पेटेंट पंजीकरण के लिए व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा की जाएगी।
  • प्रदेश के ऐसे पॉवरलूमों, जिनको रियायती दर पर विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है, की पात्रता सीमा 25 से बढ़ाकर 150 हार्सपॉवर की गई है।
  • पॉवरलूमों के उन्नयन का काम तेजी से बढाने के लिए भारत सरकार से प्राप्त वित्तीय सहायता के अतिरिक्त अधिकतम 8 पॉवरलूमों के लिए उनके उन्नयन लागत का 25 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा प्रदान दिया जाएगा।
  • निजी औद्योगिक क्षेत्र तथा निजी बहुमंजिला औद्योगिक परिसरों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 2 करोड रूपये तक की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
  • मध्यम श्रेणी के उद्यमों को अविकसित शासकीय भूमि आवंटित करने का प्रावधान नियमों में किया जाएगा।
  • मध्य प्रदेश राज्य क्लस्टर विकास कार्यक्रम चलाया जाएगा।
    एमएसएमई इकाइयों में कार्यरत अकुशल एवं अर्द्धकुशल कर्मचारियों के लिये एक विशेष कौशल संवर्द्धन कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा।
  • इस वर्ष साढ़े सात लाख युवाओं को स्व-रोज़गार से जोड़ा जाएगा।
  • अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों के लिये एक विशेष सम्मेलन किया जाएगा।
  • औद्योगिक क्षेत्रों में भवन निर्माण अनुमति के लिये भवन संबंधी थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन को स्वीकार किया जायेगा।
  • शहरों के मास्टर प्लान एवं औद्योगिक भू आवंटन हेतु निर्धारित एफएआर की विसंगतियों को दूर करने के लिये नियमों में संशोधन किया जाएगा।
  • इंदौर के पालदा निजी औद्योगिक क्षेत्र के अधोसंरचना विकास में शासन द्वारा मदद की जाएगी। क्षेत्र में कृषि आधारित इकाइयों के अलावा अन्य उद्योगों के लिये भी अनुमति दी जाएगी।
  • प्रत्येक जिले में लघु उद्योग संवर्द्धन बोर्ड भी स्थापित किया जाएगा।
  • राज्य स्तरीय लघु उद्योग संवर्द्धन बोर्ड में 5 प्रमुख विभागों को स्थायी सदस्यता दी जाएगी।
  • बीमार लघु उद्योगों के पुनर्जीवन के लिये बैंकों के साथ समन्वय कर एक सकल पुनर्जीवन पैकेज तैयार किया जाएगा।
  • एमएसएमई हेतु नवीन भू-आवंटन और भू-प्रबंधन नियम बनाये जायेंगे।
  • सूक्ष्म इकाईयों की स्थापना के लिए वित्तीय संस्थाओं से अधिकतम 25 लाख का ऋण प्राप्त करने पर उनसे पंजीयन के लिए अधिकतम 500 रुपये की स्टाम्प ड्यूटी ली जाएगी।
  • एमएसएमई द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रस्तुत किये जाने वाले प्रपत्रों को सरल किया जाएगा।
  • एमएसएमई इकाइयों को बढ़ावा देने के लिये अनेक उद्योगों को सफेद कैटेगरी में लाया जाएगा।
  • उज्जैन में उद्योग एक्जीबिशन सेन्टर की स्थापना की जाएगी।
  • प्रदेश की सभी स्मार्ट सिटीज में इनक्यूबेशन सेन्टरों की स्थापना की जाएगी।
  • निजी औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण की अनुमति के लिए संबंधित नगरीय निकायों और ग्रामीण निकायों को अधिकृत किया जाएगा।
  • प्लग एण्ड प्ले सुविधा निर्मित करने के उद्देश्य से निजी रो (row )फैक्ट्री के निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
  • औद्योगिक इकाइयों पर लगने वाले कर्मकार कल्याण सेस के लिये डीआईसी या ए.के.व्ही.एन. द्वारा दिये जाने वाले पूँजी अनुमान मान्य किये जायेंगे।
  • नवीन एमएसएमई औद्योगिक क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना के विकास को यथासंभव उर्जा विभाग के प्लान में सम्मिलित किया जाएगा।

 

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