शुक्रवार को 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहादत को सम्मानित करते हुए एक वक्त ऐसा भी आया जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आंखों से आंसू छलक गए। शहीद गरुड़ कमांडो जेपी निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित करने के लिए उनकी मां और पत्नी को मंच पर आमंत्रित किया गया। इस दौरान शहीद कमांडो जेपी निराला के अदम्य साहस और वीरता की कहानी का भी जिक्र किया गया। जब शहीद कमांडो की मां और पत्नी सम्मान हासिल करने के लिए मंच पर पहुंचीं तो राष्ट्रपति कोविंद की आंखों में आंसू थे। शहीद कमांडो के परिवार को अशोक चक्र भेंट करने के बाद जब राष्ट्रपति कोविंद अपने स्थान पर बैठे तो वो अपनी रूमाल से आंसू पोछ रहे थे।
अशोक चक्र पाने वाले वायुसेना के पहले गरुड़ कमांडो
भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला अवसर था, जब किसी गरुड़ कमांडो को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि अशोक चक्र शांति काल का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। गरुड़ कमांडो जेपी निराला तीन महीने पहले ही आतंकरोधी अभियान के तहत स्पेशल ड्यूटी पर कश्मीर के हाजिन में सेना के साथ तैनात थे। श्रीनगर में इसी ऑपरेशन के दौरान सेना की तरफ से की गई कर्रवाई में आतंकी मसूद अजहर के भतीजे तल्हा रशीद को मारा गया था।
पिता को बेटे की शहादत पर है गर्व
शहीद निराला बिहार के रोहतास के रहने वाले थे। वे साल 2005 में वायु सेना में शामिल हुए थे। कमांडो निराला अपने माता-पिता के एकलौते बेटे थे। परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी सुषमा और 4 साल की बेटी जिज्ञासा हैं। जुलाई 2017 में उन्हें कश्मीर जाने का मौका मिला। शहीद निराला के पिता तेजनारायण ने बताया कि उनका एकलौता बेटा था, लेकिन उन्हें गर्व है कि वह देश के लिए शहीद हो गया।
कमांडो जेपी निराला की वीरता
सुरक्षा बलों को जम्मू कश्मीर के हाजिन इलाके के चंदरगीर गांव में आतंकियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली थी। तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। कमांडो जेपी निराला अपनी एके 47 राइफल से आतंकियों पर कहर बनकर टूट पड़े और तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। इस मुठभेड़ में लश्कर के छह आतंकियों को मार गिराया गया।