मजेदार बात है कि यह सिलसिला अब भी जारी है। सरकार ने एक महीने के कार्यकाल में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, डीसी से लेकर एसडीएम तक की सरकारी मशीनरी को अपनी जगह से हिला दिया है।
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ताबड़तोड़ तबादलों से आलम ऐसा हो गया है कि सरकारी योजनाओं पर काम की बजाय तबादलों पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। वर्तमान में सेवारत अफसर तो अफसर, सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और एचएएस अफसर भी नई सरकार के इन तेवरों से संतुष्ट नहीं हैं। सरकार ने एचपीसीए और पिछली सरकार में राजनैतिक द्वेष के कारण दर्ज हुए मामलों को रद्द करने का भी निर्णय लिया है।
जयराम ने सीएम बनने के बाद कहा कि बो 100 दिन के भीतर अपने टार्गेट को पूरा कर लेंगे। लेकिन इतनी कम समय में अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्हे कड़ी मेहनत की जरूरत है। विजन डॉक्यूमेंट मेें भाजपा ने सत्ता में आने से पहले कई बातें कीं। इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय में होशियार हेल्पलाइन को चौबीसों घंटों चलाने की घोषणा, गुड़िया हेल्पलाइन जैसी घोषणाएं पूरी हो चुकी हैं।
राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। बीजेपी सरकार भी कर्ज की राह पर है। सत्ता पर काबिज होने के तीन सप्ताह के भीतर सरकार ने 500 करोड़ कर्ज लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ये ऋण आरबीआई से लेगी । 500 करोड़ रुपये का यह ऋण अगले 10 वर्ष में वापस किया जाना है। लेकिन ये कर्ज माफ कौन करेगा। इसका रोड मेप ना वीरभद्र-धूमल से लेकर जयराम सरकार तक के पास नहीं हैं । प्रदेश का कर्ज उतरेगा कौन और प्रदेश की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए। जब तक हिमाचल सरकार के आय के नए स्रोत तैयार नहीं हो जाते प्रदेश कर्ज के बोझ नहीं उतर सकता ।
पिछली सरकार के समय गुडिया गैंगरेप, होशियार सिंह हत्याकांड जैसी वारदातों ने पिछली सरकार के समय प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। बीजेपी ने इस मुद्दे को चुनावों में भुनाया भी। अब सत्ता में आकर प्रदेश में कानून को स्थिति को ठीक करने का काम जयराम सरकार का है
प्रदेश कर्जे में डूबा हैं। समस्याओं का अंबार लगा है। लेकिन सरकार ने अभी तक उतने एक्शन में नहीं दिखी जितनी उम्मीद की जा रही थी । बीजेपी अपने विजन डॉक्यूमेंट को पूरा कैसा करेगी ये यक्ष प्रशन है। जयराम सरकार केंद्र के सहारे अपनी नैया पार लगाएगी या फिर प्रदेश में आय के संसाधनों को बढ़ाएगी ।