मध्य प्रदेश में मल्टीप्लेक्स, सिनेप्लेक्स व केबल टीवी से मनोरंजन कर अब नगरीय निकाय वसूल करेंगे। 1 जुलाई 2017 से मनोरंजन कर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद मनोरंजन कर अधिनियम समाप्त हो गया था, लेकिन सरकार ने राजस्व कमी को दूर करने के लिए रास्ता निकाल लिया है लेकिन 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद नगरीय निकाय और पंचायतराज संस्थाओं के लिए बने कानून में निकायों को मनोरंजन सहित अन्य कर लगाने का अधिकार दिया गया है। इस अधिकार के तहत अब शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतें मनोरंजन कर वसूल करेंगी।शहरी क्षेत्र के लिए नगरपालिका एक्ट में संशोधन प्रस्ताव को शनिवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल सकती है। इसके बार नियम बनाए जाएंगे। प्रस्ताव के मुताबिक कर निर्धारण का अधिकार नगर निगम और नगर पंचायतों की परिषदों को होगा, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा राज्य सरकार तय करेगी।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मनोरंजन कर का स्लैब तय करने का अधिकार नगर निगम और नगर पालिका की परिषद को होगा। वे अपने शहर में प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से कर का निर्धारण करेंगे, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा राज्य सरकार तय करेगी। इसके लिए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि फरवरी के दूसरे सप्ताह से मनोरंजन कर की वसूली शुरु हो जाएगी।सूत्रों के मुताबिक जीएसटी लागू होने से पहले प्रदेश में मल्टीप्लेक्स व सिनेप्लेक्स से 20 और केबल टीवी व अन्य मनोरंजन के साधनों से 10 प्रतिशत कर वाणिज्यिक कर विभाग वसूलता था।
जीएसटी लागू होने के बाद राज्य की मनोरंजन कर के जरिए होने वाली आय समाप्त हो गई है। इससे पिछले छह माह में सरकार को 125 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है गुजरात, तमिलनाडु और हरियाणा अपने अधिनियमों में संशोधन कर निकायों को मनोरंजन कर लगाने का अधिकार दे चुके हैं। प्रदेश को मनोरंजन कर समाप्त होने से करीब 100 करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होगा। सरकार को नई व्यवस्था से इसकी भरपाई की उम्मीद है।