Home राष्ट्रीय रायसीना हिल्स पर बीटिंग रिट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह खत्म….

रायसीना हिल्स पर बीटिंग रिट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह खत्म….

14
0
SHARE

चार दिन तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के आखिरी दिन सोमवार को रायसीना हिल्स पर ‘बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी’ का आयोजन हुआ। इसमें 18 मिलिट्री बैंड और 15 पाइप एंड ड्रम बैंड ने हिस्सा लिया। 69वें गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने काफिले के साथ विजय चौक पहुंचे। इस मौके पर तीनों सेनाओं के साथ पुलिस और पैरामिलिट्री के बैंड ने 26 मनमोहक धुनों पर मार्च करते हुए उन्हें सलामी दी। बता दें कि हर साल 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट का आयोजन होता है। यह गणतंत्र दिवस समारोह की आखिरी परंपरा है, जो 1950 से चली आ रही है।

इस बार तीनों सेनाओं के मिलिट्री बैंड ने सारे जहां से अच्छा, वंदेमातरम् जैसी 26 धुनों पर मार्च किया। इनमें से 25 धुन भारतीय संगीतकारों ने तैयार कीं। बीटिंग रिट्रीट में 18 मिलिट्री बैंड, 15 पाइप एंड ड्रम बैंड शामिल हुए और एक साथ सेना के सर्वोच्च कमांडर (राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद) को सलामी दी। इस समारोह के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण तीनों सेनाओं के प्रमुख समेत कई देशों से आए गेस्ट शामिल हुए।

मेजर अशोक कुमार बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के मुख्य संचालक थे। वहीं, आर्मी बैंड की कमान मेजर एसके शर्मा, नेवी बैंड को ऑफिसर रमेश चांद ने लीड किया। एयरफोर्स के बैंड के संचालक जूनियर वारंट ऑफिसर असोख कमार थे। इसके अलावा पुलिस और सीएपीएफ बैंड का नेतृत्व कॉन्स्टेबल भीम सिंह ने किया। सभी बैंड ने आकर्षक प्रस्तुतियां देकर विजय पथ पर मौजूद हर किसी का मनमोह लिया। बैंड परफॉर्मेंस के बीच में शास्त्रीय संगीत के जरिए वैष्णव जन… वंदेमातरम्… और ऐ मेरे वतन के लोगों… की धुन बजाई गई। आखिर में शाम 6 बजे सारे जहां से अच्छा… धुन बजाते हुए बैंड राजपथ की ओर चले गए।

बीटिंग द रिट्रीट सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। गणतंत्र दिवस के बाद 29 जनवरी को इस सेरेमनी का आयोजन रायसीना हिल्स के विजय चौक पर किया जाता है।दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है। लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थी, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here