राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि जहां तक किसानों के हितों का संबंध है, तो मौजूदा परिपेक्ष्य में रासायनिक अथवा जैविक कृषि के मुकाबले प्राकृतिक खेती अधिक लाभकारी है। उन्होंने शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली में कृषि वैज्ञानिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और ग्राम स्तर से आन्दोलन आरम्भ करने की आवश्यकता है।
राज्यपाल आज चौधरी सरवण कुमार हि.प्र. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि पर आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने की।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रणाली रासायनिक तथा जैविक कृषि का एक मात्र विकल्प है और यह प्रणाली सुरक्षित भी है तथा इसमें किसानों की आय को दोगुना करने की क्षमता है। इस प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादन लागत शून्य हो जाती है और उत्पाद ज़हर-मुक्त होते हैं। इससे ज़मीन की उत्पादकता बढ़ती है, पानी के कम उपयोग की आवश्यकता पड़ती है, मित्र कीटों का बचाव होता है तथा गुणवत्तायुक्त उत्पादों की पैदावार होती है।
राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना प्रधानमंत्री की परिकल्पना है और हमें इस दिशा में योगदान करना चाहिए तथा किसान समुदाय के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने अपील की कि पांच वैज्ञानिकों के एक समूह को एक गांव को प्राकृतिक कृषि के लिए अपनाना चाहिए, क्योंकि राज्य सरकार इसके लिये हर सहायता प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री ने इस विश्वविद्यालय से प्रायोगिक परियोजना आरम्भ की है।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि जैविक खेती किसानों के लिए अधिक लाभकारी नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि विश्व भर में जैविक उत्पादों के नाम पर उद्योग स्थापित किए गए हैं और निवेश, रासायनिक खादों के मुकाबले अधिक महंगा है, जो दर्शाता है कि किसानों के शोषण पर अंकुश नहीं लग पाया है।
उन्होंने राज्य में प्राकृतिक कृषि परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर को बधाई दी और आशा जताई कि इससे कृषि क्षेत्र सुदृढ़ होगा। उन्होंने राज्य में परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कृषि मंत्री डा. राम लाल मारकण्डा के प्रयासों की भी सराहना की।
मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि विश्वविद्यालय राज्य में कृषि, पशु चिकित्सा तथा पशु विज्ञान के क्षेत्र में आवश्यकता आधारित अनुसंधान के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न भागों में कार्यरत 13 अनुसंधान केन्द्रों तथा 8 कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से विश्वविद्यालय व्यापक प्रशिक्षण सहित किसानों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है और इस प्रकार किसानों को उनकी आर्थिकी में सुधार करने में सहायता कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है और ‘मेरा मानना है कि किसानों से सीधे तौर पर जुड़े कृषि कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और इनके क्रियान्वयन में किसी प्रकार की देरी नहीं की जानी चाहिए’। उन्होंने कहा कि इस पॉयलट परियोजना की शुरूआत करने से किसान समुदाय को इस शून्य लागत प्राकृतिक कृषि परियोजना से काफी लाभ पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि हमें कीटनाशकों के बजाए देशी खाद का उपयोग करके बड़े पैमाने पर शून्य लागत प्राकृतिक खेती प्रणाली को अपनाकर सिक्किम राज्य से आगे बढ़ना है।
श्री जय राम ठाकुर ने राज्य से भ्रष्टाचार तथा सभी प्रकार के माफिया को उखाड़ फैंकने के राज्य सरकार के संकल्प को दोहराया।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की शिकायतों तथा समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया।
कृषि मंत्री डा. राम लाल मारकण्डा ने राज्यपाल का धन्यवाद करते हुए कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक कृषि तकनीक पर चर्चा करने के लिए यह एक बड़ा अवसर है और राज्य में इसके पुनर्जीवन के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार राज्य में किसानों द्वारा वर्ष 2015-16 के दौरान 523 मीट्रिक टन कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और घातक बीमारियां का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि सिक्किम और भूटान ने बड़े पैमाने पर जैविक खेती को अपनाया है और हमें उनके मॉडल का अध्ययन करने की आवश्यकता है।
कृषि मंत्री ने कृषि उत्पादों के ई-विपणन पर भी बल दिया और वैज्ञानिकों को शोध का ब्यौरा साझा करने के लिए व्हाट्सऐप समूह बनाने के निर्देश दिए।
इसके पश्चात, मुख्यमंत्री विश्वविद्यालय परिसर में शून्य बजट प्राकृतिक कृषि केन्द्र की आधारशिला रखने तथा पशु पालन एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में पशु बीमारी जांच एवं शोध प्रयोगशाला के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ थे।
इससे पूर्व, चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में कृषि उद्देश्यों के लिए अपनाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं के अलावा शून्य बजट प्राकृतिक खेती पर विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत किया।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता मामले मंत्री किशन कपूर, शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार, उद्योग मंत्री विक्रम सिंह, विधायक आशीश बुटेल, बिक्रम जरयाल, मुल्क राज प्रेमी व रवि धीमान सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।