पीएम नरेंद्र मोदी कई मंचों से कह चुके हैं वह देश में एक चुनाव चाहते हैं. इस मामले में उनका सिद्धांत एक राष्ट्र एक चुनाव उन्होंने साफ किया है कि वह चाहते हैं कि राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ हों ताकि देश में काफी पैसे और ऊर्जा को बचाया जा सके. हर चुनाव में तमाम तरह से लोगों और संसाधनों का प्रयोग होता है. चुनाव आयोग कई सरकारी कर्मचारियों का प्रयोग करता है और चुनाव में खर्चा काफी आता है. पीएम मोदी ने अपनी बात रखते हुए सोमवार की शाम एनडीए की बैठक में भी ऐसा ही कहा. इससे पहले दिन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट सत्र के दौरान अभिभाषण में भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी थी.
पीएम नरेंद्र मोदी की ऐसी राय और राष्ट्रपति कोविंद के भाषण के बाद यह अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि इस साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के चुनाव के साथ ही लोकसभा का चुनाव करवा दिया जाएगा. इसके लिए लोकसभा को जल्द भंग किया जा सकता है और इतना ही नहीं कुछ अन्य राज्य जिनके चुनाव अगले साल होने हैं उन राज्यों के चुनाव भी साथ में कराए जा सकते हैं. कुल मिलाकर 10 राज्यों के चुनाव होने हैं और इनको लोकसभा के चुनाव के साथ ही कराया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का कार्यकाल अगले साल मई तक है और इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव यदि पहले कराए जाते हैं तब ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव को भी जल्दी कराया जा सकता है. यहां से यह साफ है कि करीब 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनाव साथ में कराए जा सकते हैं.
यहां गौर करने की बात यह है कि नीति आयोग पहले ही कह चुका है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ में कराना संभव नहीं है. लेकिन इन्हें कुछ चरणों में कराया जा सकता है. संभव है कि इस साल लोकसभा के साथ 10 विधानसभाओं के चुनाव और फिर 2020 में 10 राज्यों के और फिर 2023 में बाकी राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव हो जाएं. यह सब तक संभव है जब इस योजना पर कार्य आगे बढ़ाया जाए.
उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी इस प्रकार से चुनाव कराए जाने के पक्षधर हैं और मीडिया से लेकर लोगों से इस विचार पर चर्चा का आग्रह कर चुके हैं. यह बात साफ है कि विपक्षी दल लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा के चुनावों को कराने के पक्ष में नहीं हैं. विपक्षी दलों को लगता है कि बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में एंटी इनकंबेंसी को धता बताने के लिए यह योजना बना रही है. इस बात यह बीजेपी के लोगों का कहना है कि विपक्ष अभी भी यह मान रहा है कि फिलहाल नरेंद्र मोदी की काट उनके पास नहीं है. यदि लोकसभा का चुनाव और विधानसभा के चुनाव साथ में होंगे तो लोग मोदी के पक्ष में मतदान करेंगे और विपक्ष को लाभ नहीं होगा.