प्रदेश की 100 उद्यानिकी नर्सरियों को आधुनिक नर्सरी में बदलने का कार्यक्रम
प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने के मकसद से किसानों को परम्परागत फसल गेहूँ और सोयाबीन के अलावा अन्य उद्यानिकी फसल लेने के लिये भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्ष 2007 में फल-पौधों का रकबा 47 हजार 856 हेक्टेयर हुआ करता था। वह बढ़कर वर्ष 2017-18 में एक लाख 34 हजार 604 तक पहुँच गया है। इसी तरह ड्रिप एरीगेशन 500 हेक्टेयर में होता था, वह अब बढ़कर 21 हजार 456 हेक्टेयर हो गया है। स्प्रिंकलर से सिंचाई 60 हेक्टेयर में हुआ करती थी, वह बढ़कर वर्ष 2017 में 97 हजार 135 हेक्टेयर हो गयी है।
प्रदेश में कोल्ड-स्टोरेज क्षमता में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2007 में कोल्ड-स्टोरेज क्षमता 2 लाख मीट्रिक टन के करीब थी, जो वर्ष 2017 में बढ़कर करीब 9 लाख 50 हजार मीट्रिक टन तक पहुँच गई है। प्रदेश में कोल्ड-स्टोरेज में प्याज भण्डारण की क्षमता एक दशक पहले तक न के बराबर थी, जो वर्ष 2017 तक 5 लाख मीट्रिक टन भण्डारण तक पहुँच गई है। प्याज भण्डारण के लिये प्रदेश में 1528 भण्डार-गृह बनाये गये हैं। किसानों को उद्यानिकी फसलों को लेने के लिये तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अब प्रदेश में 600 हेक्टेयर रकबे में पॉली-हाउस, 150 हेक्टेयर में शेडनेट-हाउस और 5 लाख हेक्टेयर में प्लास्टिक माल्चिंग का उपयोग किसानों द्वारा किया जा रहा है।
उद्यानिकी फसलों का भोजन में पौष्टिक तत्वों की पूर्ति, कृषकों की नगद आय बढ़ाने और विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ-साथ पर्यावरण में सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है।
सरकारी रोपणियों में प्रशिक्षण की सुविधा
उद्यानिकी विभाग द्वारा 51 जिलों में 307 नर्सरियाँ संचालित की जा रही हैं। इन नर्सरियों का किसानों को प्रशिक्षण देने के लिये भी उपयोग किया जा रहा है। विभाग ने इन नर्सरियों को उन्नत करने का कार्यक्रम तैयार किया है। वर्ष 2018 में 100 नर्सरियों को आधुनिक तकनीक के साथ उन्नत किया जायेगा।