जारी हो चुका था गिरफ्तारी वारंट
गोयनका ने जमानत लेने की भी काफी कोशिश की, लेकिन उनकी सभी कोशिशें नाकाफी साबित हुईं और उन्हें सरेंडर करना पड़ा। डॉ. अजय गोयनका के द्वारा 23 नवंबर को विशेष अदालत से जमानत मांगी गई थी। लेकिन न्यायालय ने जमानत देने से मना कर दिया था। इसके बाद वह जबलपुर हाईकोर्ट में भी जमानत अर्जी लगा चुके थे, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही मिली। 27 जनवरी को विशेष न्यायाधीश दिनेश प्रसाद मिश्रा ने दोनों आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। हालांकि दोनों ने ही गिरफ्तारी से पहले ही अदालत में सरेंडर कर दिया। पीएमटी-2012 की काउंसलिंग के दौरान चिरायु मेडिकल कॉलेज की एडमिशन कमेटी ने संचालनालय चिकित्सा शिक्षा को बताया था कि उनके यहां सिर्फ 9 सीटें खाली हैं, जबकि 50 से ज्यादा सीटें खाली थीं। खाली सीटों पर कॉलेज प्रबंधन ने 28 से 30 सितंबर के बीच अयोग्य उम्मीदवारों प्रवेश दे दिया था। आरोप है कि अजय गोयनका के कहने पर एडमिशन कमेटी ने झूठी सूचना भेजी थी।
PMT-2012: चिरायु के चेयरमैन ने किया सरेंडर, कोर्ट ने भेजा जेल…
गोयनका पिछले कई दिनों से प्रयास कर रहे थे कि उन्हें अग्रिम जमानत मिल जाए। लेकिन, अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। आखिरकार उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत में सरेंडर करना पड़ा। इसके साथ ही पीएमटी-2012 मामले में ही पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के एडमिशन कमेटी में सदस्य रहे डॉ. एसके सदावर्ते ने भी अदालत में सरेंडर कर दिया।सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों ही आरोपियों को 24 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अजय गोयनका पर चिरायु मेडिकल कॉलेज का चेयरमैन रहते हुए फर्जी तरीके से पीएमटी-2012 में छात्रों को सीट बेचने का आरोप लगाया गया है। सीबीआई की ओर से पिछले वर्ष 23 नवंबर को इस मामले में आरोप पत्र पेश किए जाने के बाद से ही डॉ. अजय गोयनका फरार चल रहे थे।