ऊना: भारतीय वायुसेना में ए.एन.-32 एयरक्राफ्ट उड़ा रही हिमाचल की बेटी फ्लाइंग लैफ्टिनैंट चंदा ने अपनी प्रतिभा के दम पर गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय वायु सेना की झांकी का नेतृत्व करने का गौरव हासिल कर पूरे प्रदेश को गौरवान्वित किया है। भारतीय वायु सेना में बतौर फ्लाइंग लैफ्टिनैंट आकाश छूने वाली चंदा यहां अपनी प्रतिभा दिखा रही है, वहीं जिला ऊना में उनके पिता बेटी बचाओ-बेटी अभियान को अमलीजामा पहुंचाने में जुटे हैं। उनके प्रयास सार्थक होते भी दिख रहे हैं। यहां उनकी बेटी भारतीय वायु सेना में स्वर्णिम इतिहास लिखने में कामयाब हुई हंै, वहीं जिला ऊना में भी घटती कन्या शिशु दर में भी लगाम लग पाई है। फ्लाइट लैफ्टिनैंट चंदा का जन्म 22 फरवरी, 1991 को पालमपुर में हुआ था।
प्राथमिक व 12वीं तक की शिक्षा पालमपुर से ग्रहण करने के बाद चंदा ने गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर से इलैक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी.टैक. की डिग्री की। डिग्री पूरी होने के बाद वर्ष 2012 में एफकैट का टैस्ट क्लीयर किया और एयरफोर्स अकादमी हैदराबाद में 2 साल तक ट्रेनिंग ली। जून, 2014 में फ्लाइंग ऑफिसर बनीं और अब कोयम्बटूर में फ्लाइट लेफ्टिनैंट बनकर रशियन ए.एन-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट उड़ा कर आसमान की ऊंचाइयां नाप रही हैं।
पायलट चंदा के पिता रणजीत सिंह ऊना जिला में बाल विकास एवं परियोजना विभाग में बतौर जिला कार्यक्रम अधिकारी सेवाएं दे रहे हैं। जिला में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रणजीत सिंह लगातार प्रयासरत हैं और विभिन्न शिविरों के माध्यम से लोगों में इस अभियान के प्रति अलख जगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने अपनी प्रतिभा से समूचे प्रदेश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए यह जीवंत मिसाल है जिसे वह लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि बेटियों को अवसर दिए जाएं तो वह किसी भी ऊंचाई को छू सकती हैं।