हाईकोर्ट ने जयराम सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि रोजाना हजारों यात्री सडक़ मार्ग से यात्रा करते हैं और उनकी सुविधा के लिए साफ-सुथरे शौचालय होने चाहिए। खासकर महिलाओं के लिए पर्याप्त शौचालय व्यवस्था की जानी चाहिए। स्टेट व नेशनल हाईवे के किनारे आपात स्थिति में चिकित्सा सुविधा का भी इंतजाम किया जाए।
स्टेट व नेशनल हाईवे के किनारे जन सुविधाओं को लेकर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को अन्य निर्देश भी जारी किए हैं। अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि हाईवे के किनारे बेहतर जन सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक की जाए।
हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि स्टेट व नेशनल हाईवे के किनारे स्थित ढाबों में साफ-सुथरे शौचायलों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव आठ सप्ताह में लोक निर्माण विभाग, पथ परिवहन निगम, पर्यटन विभाग, नगर निकायों व पर्यावरण विभाग के साथ बैठक करें। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इन सडक़ों पर वाहन चालकों और यात्रियों को चिकित्सा सुविधा भी मिलनी चाहिए।
हिमाचल में यातायात का प्रमुख माध्यम सडक़ परिवहन ही है। रोजाना हजारों यात्री बसों में सफर करते हैं। इसके अलावा सैलानियों के लिए भी कई सरकारी व निजी वाहन हाईवे से गुजरते हैं। निजी वाहनों में भी कई लोग सफर करते हैं। ऐसे में हाईवे के किनारे पर्याप्त शौचालय होना जरूरी हैं। इसीलिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पीएम नरेंद्र मोदी की स्वच्छता अभियान और हर घर में शौचालय मुहिम की याद दिलाई है।
बता दें कि हाईकोर्ट ने इससे पहले भी महिला सुरक्षा के साथ-साथ नेशनल व स्टेट हाइवे पर ढाबों में शौचालयों की पर्याप्त की सुविधा न होने पर चिंता जताई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा है कि राज्य पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, लोक निर्माण विभाग व अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर नेशनल व स्टेट हाइवे पर ढाबों अथवा अन्य जगहों पर जन सुविधाओं को लेकर ऐप विकसित कर सकते हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को तय की गई है।